Friday, September 20, 2024

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Delhi :सुप्रीम कोर्ट ने डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा की रिहाई पर रोक लगाई,वकील बोले- वे दिव्यांग, कोर्ट ने कहा- आतंक के लिए शरीर नहीं, दिमाग की जरूरत

SC stays release of former DU professor GN Saibaba and five others from jail

दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ( G N Saibaba )को बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी किए जाने के फैसले पर    (  ) ने रोक लगा दी है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, इसलिए अभी साईबाबा जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान साईबाबा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने कहा कि पूर्व प्रोफेसर 8 साल से जेल में बंद हैं। उनकी उम्र 55 साल है और उनके शरीर का 90% हिस्सा काम नहीं करता है। साईबाबा व्हीलचेयर पर चलते हैं, इसलिए उन्हें जेल में अब न रखा जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि आतंकी और नक्सली गतिविधि में शामिल होने के लिए शरीर की नहीं ब्रेन की जरूरत होती है।

   ( Supreme Court )ने आज एक विशेष सुनवाई में   ( )  की नागपुर पीठ के 14 अक्तूबर के आदेश को निलंबित कर दिया, जिसने कथित माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा( prof. G N Saibaba )और अन्य को आरोप मुक्त कर दिया था। इसके बाद शीर्ष अदालत ने इन सभी आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए रिहाई पर भी रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 8 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। बता दें कि शुक्रवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा और पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में  सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “इस मामले में छह आरोपी हैं और आरोपी 6 ( prof. G N Saibaba ) मास्टर हैं। पहले पांच की मंजूरी पर विचार करते समय आरोपी की भूमिका पर विस्तार से विचार किया गया है। जहां तक ​​आरोपी 6 (जीएन साईंबाबा) का संबंध है, स्वीकृति आदेश देर से आया और जांच अधिकारी से पहले ही पूछताछ की जा चुकी थी। इसलिए उसे वापस बुला लिया गया और आरोपी ने उस पर आपत्ति नहीं की। इसे उच्च न्यायालय के समक्ष रखा गया और उच्च न्यायालय ने उस पहलू को छुआ तक नहीं।”

बता दें कि साल 2014 में नक्सलियों से संबंध मामले में साई बाबा ( prof. G N Saibaba )की गिरफ्तारी हुई थी। साई बाबा फिलहाल नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।  गिरफ्तारी से पहले व्हीलचेयर से चलने वाले प्रोफेसर साई बाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे। जांच एजेंसियों के अनुसार वह छत्तीसगढ़ के अबुजमाड़ के जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों और प्रोफेसर के बीच एक कूरियर के रूप में काम कर रहे थे।

शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्य को बरी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कहा कि था जब 2014 में निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष के आरोप पत्र का संज्ञान लिया तो उस समय साईबाबा के खिलाफ यूएपीए के तहत अभियोजन चलाने की मंजूरी नहीं दी गई थी।  यूएपीए के तहत वैध मंजूरी न होने के कारण निचली अदालत की कार्यवाही ‘अमान्य’ है और इसलिए निचली अदालत का आदेश रद्द किए जाने के लायक है। मामले में पहले गिरफ्तार पांच आरोपियों के खिलाफ 2014 में यूएपीए के तहत अभियोग चलाने को मंजूरी दी गई थी और साईबाबा के खिलाफ इसकी अनुमति 2015 में दी गई।

Saibaba to remain in jail: SC stays release of ex-DU prof, 5 others in Naxal links case

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— ANI Digital (@ani_digital) October 15, 2022

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels