उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद अब खंडवा( Khandwa ) जिले के ओंकारेश्वर( Omkareshwar )में आदि शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यहां 108 फीट की मूर्ति की स्थापना को लेकर तेजी से काम चल रहा है।
ओंकारेश्वर ( Omkareshwar )में आदि शंकराचार्य के बाल स्वरूप की मूर्ति लगेगी। प्रदेश की 23 हजार पंचायतों से जुटाए कॉपर, टिन, जिंक व अन्य धातुओं के मिश्रण से यह मूर्ति बनेगी। 100 टन की यह मूर्ति 50 फीट ऊंचे भव्य और कलात्मक आधार पर स्थापित की जाएगी। मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा में यानि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और नर्मदा की ओर रहेगा।
मूर्ति के लिए प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत ने 11 साल के शंकराचार्य के बाल स्वरूप का चित्र तैयार किया है। इसके आधार पर मूर्ति का निर्माण अभी पहले चरण में है। जाने-माने शिल्पकार भगवान रामपुरे उनके मार्गदर्शन में मूर्ति तैयार कर रहे हैं। श्रद्धालु लिफ्ट और सीढ़ियों (दोनों माध्यम) से दर्शन के लिए आदि गुरु के सम्मुख पहुंच सकेंगे। ओंकार पर्वत पर मूर्ति लगाने के लिए समतलीकरण का काम लगभग पूरा हो गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए दो हजार करोड़ रुपए के खर्च की स्वीकृति प्रदेश सरकार ने दी है। ओंकारेश्वर में ‘एकात्मता का वैश्विक केंद्र’ भी बन रहा है।
ओंकारेश्वर में पहले चरण में साढ़े तीन फीट की मूर्ति प्लास्टिसिन क्ले से बन रही है। दूसरे चरण में यह 11 फीट की बनेगी। इन दोनों मूर्तियों के बनने के बाद अष्टधातु से 108 फीट की मूर्ति बनेगी। पहले साढ़े तीन और 11 फीट की मूर्ति बनाने का उद्देश्य यह है कि जब 108 फीट की मूर्ति बनाई जाए तो उसमें किसी भी तरह की कमी न रहे। मूर्ति पर प्रो यूरो कलर होने से बारिश और धूप का कोई प्रभाव नहीं होगा। लगभग 28 हेक्टेयर जमीन में बन रहे इस स्मारक का लोकार्पण अगले साल सितंबर तक करने की योजना है। मूर्ति के अलावा इसके विशाल परिसर को एक नॉलेज सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा।
मूर्ति के अलावा यहां शंकराचार्य संग्रहालय, आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान, आवासीय परिसर (शंकर निलयम), परियोजना सूचना केंद्र, अद्वैत वन तथा अभय घाट, संन्यास मंदिर एवं गुफा मंदिर का जीर्णोद्धार व विकास किया जाएगा। हाईस्क्रीन थियेटर, लेजर लाइट वाटर एंड साउंड शो, नौका विहार, विविध भाषाओं में मेडिटेशन सेंटर भी रहेगा। इसके अलावा धर्म, आध्यात्म से जुड़ी गतिविधियां भी होंगी।