इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी रामकथा पार्क पहुंचे। वहां राम का तिलक लगाकर राज्याभिषेक किया। यहां से PM सरयू किनारे राम की पैड़ी पहुंचे। सरयू पूजा करके आरती में शामिल हुए, फिर 26 मिनट तक लेजर शो के माध्यम से रामायण कथा का मंचन देखा। डिजिटल आतिशबाजी का नजारा भी देखा।
प्रधानमंत्री ने 15 और 20 मिनट के दो भाषण भी अयोध्या (Ayodhya ) में दिए। पहला, रामकथा पार्क में। दूसरा, सरयू किनारे। इसमें उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर अपनी बात रखी। कहा-एक वक्त था जब श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाते थे। इसका नतीजा यह हुआ कि हमारे देश के धार्मिक स्थलों का विकास पीछे छूट गया। पिछले आठ साल में हमने धार्मिक स्थानों के विकास के काम को आगे रखा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “एक समय था जब राम का नाम लेने से भी बचा जाता था, राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाते थे। उसका परिणाम क्या हुआ। हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक स्थान पीछे छूटते चले गए। हम यहीं अयोध्या के रामघाट पर आते थे तो दुर्दशा देखकर मन दुखी हो जाता था। काशी की तंगहाली, गंदगी परेशान कर देती थीं। जिन स्थानों को हम अस्तित्व का प्रतीक मानते थे, जब वही बदहाल थे तो देश के उत्थान का मनोबल अपने आप टूट जाता था। बीते 8 सालों में देश ने हीन भावना की बेड़ियों को तोड़ा है। हमने भारत के तीर्थों के विकास की समग्र नीति को सामने रखा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत जय श्रीराम से की। समापन सियावर रामचंद्र की जय से किया। उन्होंने कहा, ‘’राम के दर्शन और राज्याभिषेक भगवान राम की कृपा से मिलता है। जब राम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श और मूल्य और भी दृढ़ हो जाते हैं। राम के अभिषेक के साथ ही उनका दिखाया पथ और प्रदीप्त हो उठता है। अयोध्या के तो रज-रज में कण-कण में उनका दर्शन समाहित है। आज अयोध्या की रामलीलाओं के माध्यम से, सरयू आरती के माध्यम से, दीपोत्सव के माध्यम से और रामायण पर शोध और अनुसंधान के माध्यम से ये दर्शन पूरे संसार में प्रसारित हो रहा है।’’
मोदी ने कहा, “आजादी के अमृतकाल में देश ने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान किया। ये प्रेरणा भी हमें प्रभु राम से मिलती है। उन्होंने कहा था ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ यानि वो स्वर्णमयी लंका के सामने भी हीन भावना में नहीं आए, बल्कि उन्होंने कहा कि मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। इसी आत्मविश्वास के साथ जब वो अयोध्या लौटकर आते हैं तो अयोध्या की तुलना स्वर्ग से की गई है। इसलिए जब राष्ट्र निर्माण का संकल्प होता है, नागरिकों में सेवा भाव होता है तभी राष्ट्र असीम ऊंचाइयों को छूता है।”
मोदी ने कहा, “आजादी के अमृतकाल में देश ने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान किया। ये प्रेरणा भी हमें प्रभु राम से मिलती है। उन्होंने कहा था ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ यानि वो स्वर्णमयी लंका के सामने भी हीन भावना में नहीं आए, बल्कि उन्होंने कहा कि मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। इसी आत्मविश्वास के साथ जब वो अयोध्या लौटकर आते हैं तो अयोध्या की तुलना स्वर्ग से की गई है। इसलिए जब राष्ट्र निर्माण का संकल्प होता है, नागरिकों में सेवा भाव होता है तभी राष्ट्र असीम ऊंचाइयों को छूता है।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के उपरांत जिस उत्साह और उमंग के साथ अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत किया था। आज वह पर्व दीपावली के रूप में नजर आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘’कभी कुत्सित राजनीति के लिए कुछ लोगों ने अयोध्या(Ayodhya ) को वीरान बना दिया था, मगर जिस नगरी को स्वयं प्रभु श्रीराम ने ‘सुहावनी’ बताया हो, वो लंबे समय तक भला वीरान कैसे रह सकती है। आज रामराज्य के संकल्प के महा उत्सव के रूप में दीपोत्सव मनाया जा रहा है।’’
अयोध्या में राम की पैड़ी पर 15.76 लाख दीप जलाए गए। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड की ओर से इसका प्रमाण पत्र सौंपा गया। मुख्यमंत्री ने इस सर्टिफिकेट को मंच पर अपने हाथों से उठाकर समूची अयोध्या का अभिवादन किया। दूसरे कार्यकाल के पहले दीपोत्सव में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसके साक्षी बने। उन्होंने इस अविस्मरणीय, अद्भुत उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हृदय से शुभकामनाएं दीं।
Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath receives a certificate from the Guinness Book of World Records after the Deepotsav celebrations witnessed around 15 lakh earthen lamps being lit, in the presence of Prime Minister Narendra Modi in Ayodhya.
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— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 23, 2022
PM Modi performs aarti, launches Deepotsav celebrations in Ayodhya