हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी।इससे पहले कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई पूरी करके गुरुवार को फैसला सुरक्षित कर लिया था।
भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम की धारा 17 (ए) के तहत गिरफ़्तारी और जाँच से राहत देने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि चूँकि कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर विनय कुमार पाठक के द्वारा प्रथमदृष्टया एक आपराधिक कृत्य का मामला बनता है जो कि उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन से संबंधित नहीं है, इसलिए उन्हें उपरोक्त धारा के अन्तर्गत जाँच और गिरफ़्तारी से छूट नहीं मिल सकती। न्यायालय ने साफ़ किया कि श्री पाठक के पास अभी भी अग्रिम ज़मानत के लिए अर्ज़ी दाखिल करने का अधिकार है और वे चाहें तो गिरफ़्तारी से बचने के लिए इस अधिकार का उपयोग कर सकते हैं जिसे बिना किसी देरी के इस न्यायालय द्वारा सुना जाएगा।
श्री पाठक का पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड न होने की बात के मद्देनज़र न्यायालय ने उम्मीद जताई कि उनके ख़िलाफ़ कानूनसम्मत तरीक़े से जाँच शीघ्र पूरी कर चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
मामला प्रोफ़ेसर विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) के डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा (Agra) के कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण करने के दौरान का है। डिजिटेक्स टेक्नाेलाजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड मारियो डेनिस ने विनय पाठक के अलावा XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा को भी नामजद किया था ।
गौरतलब है कि कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) को जनवरी 2022 में आगरा के डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था जो सितंबर महीने तक रहा। यह पूरा मामला इसी 9 महीने में अतिरिक्त कुलपति का चार्ज रहने के दौरान का हैं।
प्रोफ़ेसर विनय पाठक बीते 13 वर्ष से विभिन्न विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर कार्यरत हैं। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि राजस्थान और उत्तराखंड के विश्वविद्यालय में भी पाठक कुलपति के पद पर कार्यरत रहे।
पाठक आठ विश्वविद्यालय में 13 वर्ष से निरंतर कुलपति के पद पर कार्यरत रहे हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री और तीन राज्यपाल बदले गए, लेकिन पाठक तगड़ी सेटिंग के कारण पद पर बरकरार हैं। 40 वर्ष की उम्र में पहली बार वाइस चांसलर बनने वाले पाठक अभी 53 वर्ष के हैं। 2 जून 1969 में जन्मे प्रोफ़ेसर विनय पाठक जहां भी रहे, हमेशा विवादों में रहे हैं।
पाठक के इस लम्बे कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री के पद पर थे। रमेश पोखरियाल और बीसी खंडूरी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद पर रहे। भारतीय जनता पार्टी की वसुंधरा राजे इस दौरान राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं। राज्यपालों में मनमोहन सरकार के दौरान उत्तराखंड की राज्यपाल मार्गरेट अल्वा तथा उत्तर प्रदेश में भाजपा और समाजवादी पार्टी की सरकार में राम नाईक और आनंदीबेन पटेल राज्यपाल रहे।
विनय पाठक ने अपनी तगड़ी सेटिंग से ही 13 वर्ष में आठ विश्वविद्यालय में निरंतर कुलपति बने रहने का एक रिकार्ड बनाया है। पाठक एकेटीयू विश्वविद्यालय, लखनऊ के नियमित कुलपति रहने के साथ ही हारकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय कानपुर तथा ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के कार्यवाहक कुलपति रहे। कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के नियमित कुलपति नियुक्त होने बाद प्रोफेसर विनय पाठक के पास डाक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का भी अतिरिक्त कार्यभार रहा।
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