Sunday, April 20, 2025

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Uttar Pradesh: बुलाने के बावजूद आगरा विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक से नदारद रहे प्रो0 विनय पाठक

Prof Vinay Kumar Pathak31

Prof Vinay Kumar Pathak31   () में व्याप्त भ्रष्टाचार की जब से एसटीएफ़ द्वारा जाँच शुरू हुई है, तब से विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोप लगने और उच्च न्यायालय द्वारा एसटीएफ़ जाँच में हस्तक्षेप करने से मना कर दिये जाने के बाद से ही पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक (Prof Vinay Pathak) लापता चल रहे हैं। आज हुई    () की कार्यपरिषद की बैठक में राज्यपाल की ओर से नामित सदस्य होने के बावजूद प्रो0 पाठक बैठक में शामिल नहीं हुए। विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया है कि प्रो0 पाठक को इस बैठक के एजेंडा समेत विधिवत आमंत्रण भेजा गया था लेकिन वे बैठक में नहीं आये। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फ़ैसले लिए जाने थे।

प्रो0 पाठक (Prof Vinay Pathak) ने एसटीएफ़ द्वारा अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए कई बार नोटिस भेजे जाने के बाद 25 नवम्बर तक का समय माँगा था और वह अवधि कल पूरी होने वाली है। इधर विश्वविद्यालय से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि प्रो0 पाठक ने विश्वविद्यालय से अपनी जाँच से संबंधित सभी अभिलेखों की छायाप्रतियाँ अपने पास मँगवाई हैं। कार्यपरिषद की बैठक से नदारद रहने के पीछे भी शायद यही कारण है कि वे इन पत्रावलियों को देखकर अपने बचाव की तैयारियों में जुटे हैं, ऐसे में आगरा आने से वे एसटीएफ़ के शिकंजे में आ सकते थे।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रो0 पाठक को अपने ख़िलाफ़ होने वाली संभावित कार्यवाही की भनक पहले ही लग चुकी थी, और 31 अगस्त को ही उन्होंने अपने ह्वाट्सऐप अकाउंट के हैक होने से संबधित खबर फैला दी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके नाम से किसी को कोई पैसे न दें क्योंकि उनका ह्वाट्सऐप अकाउंट हैक हो चुका है। इसके लगभग दो माह बाद ही   के कुलपति   (Prof Vinay  Pathak)  के खिलाफ लखनऊ के इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज हो गई। एक निजी कंपनी के एमडी ने बिल पास कराने के नाम पर जबरन वसूली करने, धमकी और गाली गलौज करने का आरोप लगाते हुए कुलपति समेत 2 लोगों को नामजद करते हुए एफ़आइआर दर्ज कराई जिसमें उनके ख़िलाफ़ एसटीएफ़ द्वारा जाँच शुरू करते हुए एक टीम आगरा भेज दी गई। प्रो0 पाठक तभी से आगरा नहीं आये हैं और एसटीएफ़ द्वारा बुलाये जाने पर वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण में चले गये।

पाठक की याचिका पर भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम की धारा 17 (ए) के तहत गिरफ़्तारी और जाँच से राहत देने से इनकार करते हुए उच्च न्यायालय ने साफ़ कहा कि चूँकि कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर विनय कुमार पाठक के द्वारा प्रथमदृष्टया एक आपराधिक कृत्य का मामला बनता है जो कि उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन से संबंधित नहीं है, इसलिए उन्हें उपरोक्त धारा के अन्तर्गत जाँच और गिरफ़्तारी से छूट नहीं मिल सकती। न्यायालय ने साफ़ किया कि श्री पाठक के पास अभी भी अग्रिम ज़मानत के लिए अर्ज़ी दाखिल करने का अधिकार है और वे चाहें तो गिरफ़्तारी से बचने के लिए इस अधिकार का उपयोग कर सकते हैं जिसे बिना किसी देरी के इस न्यायालय द्वारा सुना जाएगा।

मामला प्रोफ़ेसर विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) के    () के कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण करने के दौरान का है। डिजिटेक्स टेक्नाेलाजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड मारियो डेनिस ने विनय पाठक के अलावा XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा को भी नामजद किया था ।

गौरतलब है कि कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर विनय पाठक (Prof Vinay Pathak)  को जनवरी 2022 में आगरा के डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था जो सितंबर महीने तक रहा। यह पूरा मामला इसी 9 महीने में अतिरिक्त कुलपति का चार्ज रहने के दौरान का है।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels