छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रो. विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई रंगदारी, कमीशनखोरी और अवैध वसूली के आरोपों की जांच करेगी। इन्हीं आरोप के तहत उनके खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। राज्य सरकार की सिफारिश के बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर प्रो. विनय पाठक पर जांच का शिकंजा कस दिया है। जानकारी के मुताबिक इससे पहले प्रो. विनय पाठक और एक करीबी के खिलाफ लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में 29 अक्टूबर को केस दर्ज किया गया था।
प्रो. पाठक व उनके करीबी एक्सएलआईसीटी कंपनी के एमडी अजय मिश्रा के खिलाफ इंदिरानगर थाने में 29 अक्तूबर को रंगदारी, कमीशनखोरी व अवैध वसूली का केस दर्ज हुआ था। आगरा (Agra) के डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजीटेक्स टेक्नालॉजिज इंडिया प्रा. लि. के एमडी डेविड मारियो डेनिस ने अजय मिश्रा के जरिए प्रो. पाठक पर कमीशन लेने समेत अन्य आरोप लगाए हैं।
एफआईआर के मुताबिक डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में कुलपति रहते हुए विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) ने वादी से 15% कमिशन वसूले थे। निजी कंपनी का ऑफिस लखनऊ के रंजनीगंधा अपार्टमेंट गोखले मार्ग पर है। कंपनी ने साल 2014-15 से डा.भीमराव अंबेडकर आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम से जुड़ा काम कर रही थी।
इस बीच साल 2020-21 में UPLC के माध्यम से प्री-पोस्ट एग्जाम से संबंधित काम भी किया। कंपनी के बिल का भुगतान आगरा विश्वविद्यालय में लंबित था। आरोप है कि तब विनय पाठक कुलपति थे। इस दौरान वादी ने बिल का भुगतान करने को कहा तो पाठक ने कानपुर विश्वविद्यालय स्थित आवास पर बुलाया। इसके बाद कहा कि बिलों के भुगतान में 15% कमीशन देना होगा।

इस पर अजय ने तीन लाख रुपए कम होने की बात कही और घर में बंधक बना लिया। किसी तरह वादी वहां से निकला और तीन लाख रुपए की व्यवस्था कर अजय को दे दिए। आरोप है कि इसी तरह अलग-अलग बिलों को पास करने के नाम पर आरोपित पीड़ित से रुपए वसूलते रहे। वादी का कहना है कि अजय मिश्रा ने इंटरनेशनल बिजनेस फार्म्स अलवर राजस्थान के खाते में करीब 73 लाख रुपये ट्रांसफर भी करवाएं।
दूसरी ओर कानपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर सपा विधायक अमिताभ बाजपेई व हसन रूमी ने कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक का सम्मान समारोह आयोजित किया। विधायकों ने कुलपति की फोटो पर नोटों की माला पहनाई और कहा कि विधायक इरफान सोलंकी के घर सैकड़ों पुलिस वाले भेज दिए और भ्रष्टाचार के आरोपी कुलपति के आवास पर कोई नहीं भेजा गया बल्कि उनकी खड़ाऊ रखकर काम किया जा रहा है। विधायकों ने फरार कुलपति लिखे पोस्टर गेट पर चस्पा किए। विधायकों ने कहा कि प्रो. पाठक के पास जब आगरा विवि का प्रभार था, उस दौरान किए गए कार्यों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा और लखनऊ में मुकदमा दर्ज हुआ।
एसटीएफ ने जांच शुरू की और नोटिस भी भेजा। कुलपति न तो एसटीएफ के समक्ष हाजिर हुए और न ही अपना पक्ष रखा। अब जांच सीबीआई कर रही है। फिर भी उन्हें कुलपति पद से नहीं हटाया गया और वेतन भी पूरा दिया जा रहा है। विधायकों ने राज्यपाल को प्रेषित ज्ञापन एडीसीपी लखन सिंह को दिया।