दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन मामले में राहत नहीं मिली। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उन्हें आरोपमुक्त करने वाली याचिका खारिज कर दी है।न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया है। यह मामला 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी की एक जनसभा में भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ कथित आपत्तिजनक भाषण का है। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कथित तौर पर यह कहते हुए कि “जो लोग ‘खुदा’ में विश्वास करते हैं, उन्हें ‘खुदा’ द्वारा क्षमा नहीं किया जाएगा यदि वे भाजपा को वोट देते हैं”
हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि जो कोई बीजेपी को वोट करेगा उन्हें खुदा भी माफ नहीं करेगा। बेंच का कहना था कि ऐसा करके केजरीवाल वोटर्स के मन में भय पैदा कर रहे थे। उन जैसी शखसियत को ऐसा करना शोभा नहीं देता। लिहाजा उन्हें इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती। अदालत का कहना था कि केजरीवाल को पता था कि खुदा का नाम लेने से एक संप्रदाय विशेष को वोटर्स डाईवर्ट हो सकते हैं। बेंच ने ये भी कहा कि केजरीवाल ने जो कुछ कहा उसके पीछे एक रणनीति थी।
जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 के तहत यह केस अमेठी ( Amethi ) के मुसाफि रखाना थाने में दर्ज कराया गया था। इसमें 9 जुलाई, 2014 को निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल हुआ था। इस केस में केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने निचली अदालत में आरोपमुक्त करने की अर्जी पेश की थी। वहां 4 अगस्त, 2022 को अदालत ने अर्जी खारिज कर दी थी।
इसके खिलाफ उन्होंने सुल्तानपुर जिला सत्र अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। पर वहां भी राहत नहीं मिली तो उन्होंने हाईकोर्ट को रुख किया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि निचली अदालतों के दोनों आदेशों में कोई कमी या अवैधानिकता नहीं है। इसके बाद अपना फैसला सुना दिया।
