छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) व उनके करीबी एक्सएलआईसीटी कंपनी के एमडी अजय मिश्रा( Ajay Mishra)के खिलाफ इंदिरानगर थाने में 29 अक्तूबर को रंगदारी, कमीशनखोरी व अवैध वसूली का केस दर्ज मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अजय मिश्रा की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने पारित किया।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने अजय ( Ajay Mishra)को जमानत देते हुए कहा है कि वह रिहा होने के एक सप्ताह के भीतर सीबीआई के विवेचनाधिकारी के समक्ष उपस्थित होगा और इसमें पूरा सहयोग करेगा।पीठ ने यह भी कहा कि सीबीआई अभी मामले की जांच कर रही है और इस स्तर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि संघीय एजेंसी जांच पूरी करने में कितना समय लेगी।मालूम हो कमीशनखोरी समेत कई अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए प्रो. पाठक और सह-अभियुक्त अजय मिश्रा के खिलाफ इंदिरानगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
आगरा (Agra) के डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजीटेक्स टेक्नालॉजिज इंडिया प्रा. लि. के एमडी डेविड मारियो डेनिस ने अजय मिश्रा ( Ajay Mishra)के जरिए प्रो. पाठक पर कमीशन लेने समेत अन्य आरोप लगाए हैं।आरोप लगाने वाले डेविड मारियो डेनिस का कहना है कि पाठक के आगरा (Agra) के डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान उसके कम्पनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए अभियुक्तों ने 15 प्रतिशत कमीशन वसूला। एफआईआर में यह भी कहा गया कि वादी को उक्त अभियुक्तों से अपनी जान को खतरा है। वहीं, अजय मिश्रा की ओर से हाईकोर्ट में बताया गया कि उस पर लगाए गए आरोप गलत हैं। इसी कारण कथित वसूली के कई दिन बीत जाने के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई।
इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डेविड मारियो ने प्रोफेसर विनय पाठक (Prof Vinay Pathak) और उसके करीबी अजय मिश्र ( Ajay Mishra)के खिलाफ कमीशन लेने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें बाद में धोखाधड़ी की धाराएं बढ़ गई थी। आरोप लगाया कि पाठक के आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान उसके कम्पनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए अभियुक्तों ने 15 प्रतिशत कमीशन वसूला। उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की वसूली अभियुक्तों द्वारा जबरन की जा चुकी है।