
बताया कि दादाजी (Dadaji Maharaj)आगरा विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति रहे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कुलपति के रूप में विश्वविद्यालय में अनेक सुधार किए। यहां कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को शुरू किया। हजूरी भवन का वर्तमान स्वरूप भी दादाजी महाराज की देन है। उनके द्वारा किए गए सुधार कार्य सदैव अविस्मरणीय रहेंगे।आगरा में हजूरी भवन से जारी की गयी सूचना के अनुसार राधास्वामी सत्संग का आदि केंद्र हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा में स्थापित है। इसके अधिष्ठाता परम पुरुष पूरन धनी दादाजी महाराज (Dadaji Maharaj)प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर ने 25 जनवरी को चोला छोड़ दिया है। उनकी अंतिम यात्रा 27 जनवरी को हजूरी भवन से सुबह 10 बजे ताज गंज के लिए प्रस्थान करेगी।
हजूर महाराज का जन्म पीपल मंडी, आगरा में 14 मार्च, 1829 को कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता राय बहादुर उस समय के प्रसिद्ध वकील थे। राधास्वामी स्वामी के संस्थापक स्वामी जी महाराज ने हजूर महाराज को अपना उत्तराधिकारी बनाया। स्वामी जी महाराज के वे परमसेवक थे। 6 दिसम्बर, 1898 को उन्होंने हजूरी भवन में शरीर त्याग किया। हजूरी भवन में ही हजूर महाराज की समाध है। यहां प्रतिदिन सत्संग होता है। उसी पीढ़ी के वर्तमान आचार्य दादाजी महाराज थे ।
दादाजी महाराज (Dadaji Maharaj)ने सेंट जॉन्स कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। वे आगरा कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर रहे। मार्गदर्शन में दर्जनों लोगों ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है । आगरा विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति रहे जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। दादाजी महाराज ने कुलपति के रूप में विश्वविद्यालय में अनेक सुधार किए। तमाम व्यावसायिक पाठ्यक्रम उन्हीं की देन है। हजूरी भवन का वर्तमान स्वरूप भी दादाजी महाराज की देन है। उनके द्वारा किए गए सुधार कार्य सदैव अविस्मरणीय रहेंगे।