मनोरंजन जगत से एक दुखद खबर सामने आई है। इसी साल पद्म भूषण (Padma Bhushan ) से सम्मानित हुईं दिग्गज गायिका वाणी जयराम( playback singer Vani Jairam) का निधन हो गया है। 77 वर्षीय गायिका चेन्नई (Chennai) में अपने घर में मृत पाई गई हैं। उनके निधन की खबर सामने आने के बाद ही इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है।
बताया जा रहा है कि गायिका वाणी जयराम( singer Vani Jairam) माथे पर चोट के निशान थे। फिलहाल, पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बता दें कि वाणी ने हाल ही में इंडस्ट्री में बतौर सिंगर अपने 50 साल पूरे किए थे। उन्होंने 18 भारतीय भाषाओं में 10 हजार से ज्यादा गाने गाए थे। उनका गाया हुआ ‘हमको मन की शक्ति देना’ आज भी लोगों की जुबां पर है।
वाणी जयराम अपनी पहली हिंदी फिल्म ‘गुड्डी’ में अपने गीत ‘हमका मन की शक्ति देना’ से भी मशहूर हो गई थीं। यह गाना आज भी बहुत से स्कूलों में सुबह की प्रार्थना है। तीन बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीतने वाली वाणी जयराम का असली नाम कलैवनी था। महज 8 साल की उम्र में ऑल इंडिया रेडियो के लिए गाने वाली वाणी कभी भारतीय स्टेट बैंक में काम करती थीं।
वाणी जयराम( Vani Jairam) की मौत की जांच के लिए पुलिस भी उनके घर पर पहुंच चुकी है। वहीं, वाणी जयराम के घर काम करने वाली मलारकोडी का भी बयान सामने आ गया है। मलारकोडी ने कहा, ‘मैंने पांच बार घंटी बजाई, लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। यहां तक कि मेरे पति ने भी उन्हें फोन किया लेकिन उन्होंने कॉल भी नहीं उठाया। इस घर में वो अकेले ही रहती थीं।’
वाणी जयराम ( Vani Jairam)ने हिंदी, तमिल तेलुगू, मलयालम, मराठा, बंगाली समेत कई भाषाओं में 10 हजार से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी है। बॉलीवुड फिल्म ‘गुड्डी’ (1971) में उन्होंने ‘बोले रे पपीहा रे’ गाना गया था। वाणी जयराम को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के लिए तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और ओडिशा से राज्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
तमिलनाडु के वेल्लोर में 30 नवंबर 1945 को पैदा हुईं वाणी छह बेटियों और तीन बेटों के परिवार में पांचवीं बेटी थीं। उनके माता-पिता दुरईसामी अयंगर और पद्मावती भी संगीत की दुनिया से जुड़े हुए थे। उन्होंने रंगा रामुनाजा अयंगर से क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग ली थी। वाणी को भी बचपन से ही शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण मिला। वाणी को बचपन से ही रेडियो सुनने का बड़ा शौक था और यहीं से उनका हिंदी गानों की ओर झुकाव बढ़ा।
वाणी जयराम की शादी भी एक ऐसे परिवार में हुई, जो संगीत को बहुत अहमियत देती थी। उनकी सास पद्मा स्वामीनाथन मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और कर्नाटक संगीत गायिका थीं। साल 1969 में वाणी ने जयराम से शादी की और उनका नाम वाणी जयराम हो गया। पति के साथ वाणी मुंबई आ गईं। तब वह बैंक में ही काम कर रही थीं। लेकिन पति जयराम ने वाणी को जब गाते हुए सुना तो उन्होंने जोर देकर वाणी को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ट्रेनिंग लेने के लिए राजी किया। वाणी ने इसके बाद पटियाला घराने के उस्ताद अब्दुल रहमान खान से दीक्षा ली। संगीत में रुचि बढ़ने के कारण वाणी ने इसके बाद बैंक की नौकरी छोड़ दी और प्रोफेशनल सिंगर बनने की राह पर निकल पड़ीं।
वाणी ने ठुमरी, गजल और भजन जैसी विधाओं की ट्रेनिंग ली। साल 1969 में ही उन्होंने मुंबई में एक सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसके बाद उनकी मुलाकात म्यूजिक डायरेक्टर वसंत देसाई से हुई। वो कुमार गंधर्व के साथ एक मराठी एल्बम रिकॉर्ड कर रहे थे। वाणी की आवाज सुनने के बाद वसंत देसाई ने कुमार गंधर्व के साथ उसी एल्बम के लिए “ऋणानुबंधाचा” गाना गाने के लिए वाणी को मौका दिया। इस एल्बम को मराठी में खूब पॉपुलैरिटी मिली।
वसंत देसाई के साथ वाणी का गाना इस कदर हिट हुआ कि बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर हृषिकेश मुखर्जी ने अपनी फिल्म ‘गुड्डी’ (1971) में उन्हें तीन गाने दिए। जया बच्चन इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस हैं। वाणी जयराम ने इस फिल्म के लिए ‘बोले रे पापिहारा’, ‘हरि बिन कैसे जीयूं’ और ‘हमको मन की शक्ति देना’ गाया। ये तीनों ही गाने सुपरहिट रहे और वाणी का नाम हिंदी सिनेमा की दुनिया में चल पड़ा। उनका गाना ‘हमको मन की शक्ति देना’ तो इस कदर पॉपुलर हुआ कि यह देश के हर दूसरे स्कूल में सुबह की प्रार्थना में गाया जाने लगा। वाणी ने बाद के दिनों में वसंत देसाई के साथ पूरे महाराष्ट्र राज्य का दौरा किया और स्कूली बच्चों को कई मराठी गाने सिखाए।
Tamil Nadu | Veteran playback singer Vani Jairam found dead at her residence in Chennai, say Thousand Lights Police officials. Details awaited.
She was conferred with the Padma Bhushan award for this year.