चुनावआयोग ( Election Commission ) ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना ( Shiv Sena ) मान लिया है। आयोग ने शुक्रवार शाम को शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। आयोग ने पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। उद्धव गुट ने बिना चुनाव कराए अपनी मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से पदाधिकारी नियुक्त करने के लिए इसे बिगाड़ा।
चुनाव आयोग ने यह भी पाया कि शिवसेना ( Shiv Sena ) के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था। पार्टी की ऐसी संरचना भरोसा जगाने में नाकाम रहती है। इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म मानी जा रही है।
चुनाव आयोग के फैसले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा- यह हमारे कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और लाखों शिवसैनिकों सहित बालासाहेब और आनंद दीघे की विचारधाराओं की जीत है। यह लोकतंत्र की जीत है।
उन्होंने कहा- यह देश बाबासाहेब अंबेडकर की ओर से तैयार किए गए संविधान पर चलता है। हमने उस संविधान के आधार पर अपनी सरकार बनाई। चुनाव आयोग का आज जो आदेश आया है, वह मेरिट के आधार पर है। मैं चुनाव आयोग का आभार व्यक्त करता हूं।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने शिवसेना पर शिंदे गुट के दावे को लेकर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी थी। कोर्ट ने पिछले साल 27 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि आयोग शिवसेना के चुनाव चिह्न पर फैसला कर सकता है। यह उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि उन्होंने विधायकों की योग्यता पर फैसला होने तक इलेक्शन कमीशन की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
निर्वाचन आयोग ने सबसे पहले 1985 के बीएमसी चुनाव में शिवसेना ( Shiv Sena ) को धनुष बाण चुनाव चिन्ह आवंटित किया था। उससे पहले चुनाव लड़ने वाले शिवसेना कार्यकर्ता को निर्वाचन आयोग निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में देखता था। बहरहाल शिवसेना संवैधानिक रूप से 14 अक्टूबर 1989 को राजनीतिक पार्टी तब बनी जब निर्वाचन आयोग ने उसे राजनीतिक पार्टी के तौर पर मंजूरी दी थी। शिवसेना के गठन के बाद से ही बाल ठाकरे का आदेश ही पार्टी का संविधान हुआ करता था। शिवसेना में बाल ठाकरे का कद इतना विशालकाय हो गया था कि शिवसेना लोकतांत्रिक पार्टी रह ही नहीं सकी।
उद्धव ठाकरे ने फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा- देश में लोकतंत्र खत्म हो गया है। पार्टी किसकी है, ये चुने हुए प्रतिनिधि ही तय करेंगे तो संगठन का क्या मतलब रह जाएगा। चुनाव आयोग का फैसला लोकतंत्र के लिए घातक है। हमारी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। देश में सरकार की दादागीरी चल रही है। हिम्मत है तो चुनाव मैदान में आइये, चुनाव लड़िए। वहां जनता बताएगी कि कौन असली है और कौन नकली।
उद्धव ठाकरे ने अपने गुट को कथित तौर पर ‘चोर’ कहा तो इस पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, ’50 विधायक, 13 सांसद, सैकड़ों जनप्रतिनिधि और लाखों कार्यकर्ता चोर हैं। आप क्या हैं? आत्मनिरीक्षण करें कि यह दिन क्यों आया? आपने 2019 में बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को बेच दिया।’
शिंदे ने कहा- उन्होंने (उद्धव ठाकरे गुट ने) 2019 में ‘तीर-कमान’ को गिरवी रख दिया था। हमने बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा और ‘तीर-कमान’ को भुनाया। मैं इस पवित्र काम के लिए चुनाव आयोग को धन्यवाद देता हूं। मोदी जी का नाम देश में ही नहीं दुनियाभर में है। हाल के एक ग्लोबल सर्वे में वे नंबर-1 (राजनेता) हैं। आपको जलन क्यों हो रही है? सच को स्वीकार करें। ऐसे शब्दों से पीएम मोदी की लोकप्रियता कम नहीं होगी।