Friday, September 20, 2024

Madhya Pradesh, News, Socio-Cultural

49वें खजुराहो नृत्य महोत्सव का समापन,भरतनाट्यम, ओडिशी और कथक की जुगलबंदी देख झूमे दर्शक, सांस्कृतिक नृत्यों ने बिखेरी आभा

The end of the 49th Khajuraho Dance Festival, Bharatanatyam, Odissi and Kathak's jugalbandi danced the audience, cultural dances spread aura,

 (  ) में 49वें खजुराहो नृत्य महोत्सव (Khajuraho Dance Festival)के आखिरी दिन भी पर्यटकों ने उत्सव का भरपूर आनंद लिया। गोपिका का मोहिनी अट्टम , अरूपा और उनके साथियों की भरतनाट्यम, ओडिसी और मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति उनकी आंखों में समाई हुई थी तो पुष्पिता और उनके साथियों का नृत्य भी उनकी स्मृतियों से जाने वाला नहीं है।

मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा महोत्सव के दौरान पधारे जी-20 देशों के प्रतिनिधियों एवं अन्य आंगतुकों के लिए कला विथीका के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत को प्रचारित किया था  ।

खजुराहो नृत्य महोत्सव (Khajuraho Dance Festival) के आखिरी दिन नृत्य की शुरुआत गोपिका वर्मा के मोहिनीअट्टम से हुई। भारत की सांस्कृतिक दूत के रूप में विख्यात गोपिका ने गणेश स्तुति से अपने नृत्य की शुरुआत की। चित्रांगम नाम की इस प्रस्तुति में उन्होंने नृत्यभावों से गणेश जी के स्वरूप को साकार किया। अगली प्रस्तुति भी मनोहारी थी। इसमें कृष्ण और रुक्मणी पांसे खेल रहे हैं तो रुक्मणी कृष्ण से कहती है कि अगर मैं ये खेल जीतती हूं, तो आपको मुझसे ये वादा करना होगा कि आज के बाद आप किसी भी स्त्री को हाथ नहीं लगाएंगे।

Khajuraho Dance Festivalआप सिर्फ उन्हें देख सकते हैं पर स्पर्श नहीं कर सकते और कृष्ण ये बात मान जाते हैं। वे जब खेलना शुरू करते हैं। रुक्मणी जीत रही होती है और कृष्णा डरे हुए हैं कि अगर हार गए तो किसी भी गोप स्त्री को स्पर्श नहीं कर पाएंगे, तो कृष्ण रुक्मणी की आंखों में देखते हैं, जिसके कारण वो गलती करती है और रुक्मणी हार जाती है। इस पूरी कहानी के भाव को गोपिका ने बड़ी शिद्दत से नृत्यभावों में पिरोकर पेश किया। अंतिम प्रस्तुति में कृष्ण द्वारा रुक्मणी और गरुड़ के घमंड को तोड़ने की कहानी को भी गोपिका ने अपने नृत्य भावों में समेटकर दर्शकों के सामने रखा।

दूसरी प्रस्तुति अरूपा लाहिरी और उनके साथियों के भरत नाट्यम, ओडिसी और मोहिनीअट्टम नृत्य की हुई। तीन शैलियों के नृत्य की यह प्रस्तुति अनूठी थी। इस प्रस्तुति में अरूपा ने भरतनाट्यम, लिप्सा सत्पथी ने ओडिसी और दिव्या वारियर ने मोहिनी अट्टम शैली में नृत्य किया। अरूपा और उनके साथियों की पहली प्रस्तुति भगवान सूर्य को समर्पित थी। सूर्य ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। नृत्य के जरिए सूर्य की पूजा उपासना को बड़े ही सहज ढंग से उन्होंने पेश किया। उनकी दूसरी पेशकश काम पर केंद्रित थी। जीवन के चार पुरुषार्थों में  एक काम भी है। नृत्य में अरूपा और उनकी साथियों ने काम के प्रभाव को श्रृंगार के भावों से पेश की। अगली प्रस्तुति में उन्होंने बताया कि कैसे स्त्री ऊर्जा और रचनात्मक्ता का प्रवाह है। नृत्य का समापन उन्होंने तिल्लाना से किया।

खजुराहो नृत्य महोत्सव (Khajuraho Dance Festival) का समापन पुष्पिता मिश्रा और उनके साथियों के ओडिशी नृत्य से हुआ। राग आरवी और एकताल में नृत्य का विस्तार अदभुत रहा। आंखों, गर्दन, धड़ और पैरों की धीमी गति तेज होती हुई जिस तरह चरम पर पहुंची तो लय और गति का अनूठा चित्रपट तैयार हो गया। पुष्पिता की अगली प्रस्तुति उद्बोधन की थी। राग ताल मालिका में सजी यह अभिव्यंजनात्मक प्रस्तुति थी जिसमे ‘तुंग शिखरि चूड़ा” पर उन्होंने ओडिशा के वैभव वहां की संस्कृति, जंगल, पहाड़ों आदि का नृत्यभावों से वर्णन किया।

Jaba Upadhyay

Jaba Upadhyay is a senior journalist with experience of over 15 years. She has worked with Rajasthan Patrika Jaipur and currently works with The Pioneer, Hindi.