मानहानि मामले में दो साल की सजा होने के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अब अगर राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली तो जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक राहुल गांधी पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी। इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) की संसद सदस्यता शुक्रवार को रद्द कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय से पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी गई है। मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।
लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) की संसदीय सीट वायनाड को खाली घोषित कर दिया है। इलेक्शन कमीशन अब इस सीट पर इलेक्शन का ऐलान कर सकता है। राहुल गांधी की टीम अब सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करने जा रही है। अगर गुजरात ( Gujarat) की सूरत( surat ) कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को वहां स्वीकार नहीं किया जाता है तो सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी।सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी को अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने पर कहा ‘राहुल को सच बोलने की सजा मिली है। राहुल देश के सामने सच्चाई रख रहे थे। सरकार को जिन्हें नहीं सुनना है, उन्हें वह सदन के बाहर कर रही है। लेकिन हम सदन के अंदर भी बोलेंगे, सदन के बाहर भी बोलेंगे।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट में लिखा कि ‘जैसी भाजपा, संघ और मोदी जी से उम्मीद थी, मोदी अदाणी संबंधों पर वो राहुल गांधी को संसद में बोलने नहीं देंगे, वही हुआ। राहुल जी के चार साल पुराने बयान पर उनकी संसद की सदस्यता समाप्त कर दी। लोकतंत्र के मंदिर में नहीं बोलने दोगे तो जनता की अदालत में जाएंगे।’