17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज (Prayagraj ) की एमपी-एमएलए कोर्ट ने माफिया अतीक अहमद( Atiq Ahmed ) समेत 3 को उम्रकैद की सजा सुनाई है। भाई अशरफ समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया। इस केस में 11 लोग आरोपी थे, इसमें एक की मौत हो चुकी है।
जिन तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है उनमें अतीक ( Atiq Ahmed ) के अलावा खान सौलत और दिनेश पासी हैं। वहीं, जिन्हें बरी किया गया है उनमें अशरफ उर्फ खालिद अजीम, फरहान, जावेद उर्फ बज्जू, आबिद, इसरार, आशिक उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर हैं।
जब कोर्ट में अतीक को ले जाया गया, कोर्ट परिसर में वकीलों ने लगाए फांसी दो फांसी के नारे। इससे पहले नैनी सेंट्रल जेल से अतीक को बंद वैन में कोर्ट लाया गया था। इसमें CCTV कैमरे और पर्दे लगे थे। कोर्ट तक 10 किमी की दूरी 28 मिनट में तय हुई। उमेश पाल अपहरण केस में बाहुबली अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 11 लोग आरोपी थे, इसमें एक की मौत हो चुकी है। अतीक को सोमवार शाम को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था। दोनों को नैनी सेंट्रल जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था ।
माफिया अतीक अहमद ( Atiq Ahmed ) के खिलाफ यूं तो सौ से अधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन पहली बार किसी मुकदमे उमेश पाल अपहरणकांड में फैसला पहला है। उसके खिलाफ जितने मामले चल रहे हैं, अधिकांश में गवाह मुकर चुके हैं। उमेश पाल ने अपने अपहरण के मामले को लगभग अंजाम तक पहुंचा दिया, लेकिन फैसले से एक महीने पहले उनकी हत्या कर दी गई।

अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं, जिनमें एनएसए, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के डेढ़ दर्जन से अधिक मुकदमे हैं। उस पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही उसका राजनीतिक रुतबा भी बढ़ता गया।
1989 में वह पहली बार विधायक हुआ तो जुर्म की दुनिया में उसका दखल कई जिलों तक हो गया। 1992 में पहली बार उसके गैंग को आईएस 227 के रूप में सूचीबद्ध करते हुए पुलिस ने अतीक को इस गिरोह का सरगना घोषित कर दिया। 1993 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड ने अतीक को काफी कुख्यात किया। गैंगस्टर एक्ट के साथ ही उसके खिलाफ कई बार गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की गई। एक बार तो उस पर एनएसए भी लगाया जा चुका है।
जुर्म और राजनीति के साथ -साथ अतीक ( Atiq Ahmed ) अब ठेकेदारी और जमीन के धंधे में भी कूद पड़ा। जमीन की खरीद-फरोख्त और रंगदारी से अतीक ने ही नहीं, बल्कि उसके गुर्गों ने भी अकूत संपत्ति जुटा ली। अतीक का खौफ इतना था कि उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं करता था। अगर कर भी दिया तो बाद में गवाह मुकर जाते। कई मामलों में वादी ने ही लिखकर दे दिया कि उसने अतीक के खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया था।
प्रदेश सरकार ने अतीक के खिलाफ कई गंभीर मुकदमों को वर्ष 2001, 2003 और 2004 में वापस ले लिया था। कई मामलों में तो पुलिस ने अतीक की नामजदगी को गलत बता एफआर लगा दी थी
Umesh Pal kidnapping case | Prayagraj MP-MLA Court sentences mafia-turned-politician Atiq Ahmed to life imprisonment; also imposes a fine of Rs 5,000 on him.
The Court convicted Atiq Ahmed, Dinesh Pasi and Khan Saulat Hanif in the case. All the other seven accused, including… pic.twitter.com/ba1rVlG6n9
— ANI (@ANI) March 28, 2023