Saturday, September 21, 2024

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गीता प्रेस गांधी शांति पुरस्कार लेगा,लेकिन एक करोड़ की सम्मान राशि नहीं,प्रबंधन ने कहा- यह हमारी परंपरा नहीं, 100 साल में कभी आर्थिक मदद नहीं ली

Gita Press cites 100 years of tradition for refusing Rs. 1 Crore in Gandhi Peace Award money

Gita Press cites 100 years of tradition for refusing Rs. 1 Crore in Gandhi Peace Award money  ( ) से प्रकाशक गीता प्रेस( Gita Press ) गांधी शांति पुरस्कार( Gandhi Peace Prize )को तो स्वीकार करेगी, लेकिन एक करोड़ की सम्मान राशि नहीं लेगी। गीता प्रेस के बोर्ड ने इसका ऐलान सोमवार को किया। केंद्र सरकार ने 18 जून को गीता प्रेस को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की थी।

गीता प्रेस( Gita Press ) के प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने कहा, ‘गीता प्रेस ने 100 सालों में कभी कोई आर्थिक मदद या चंदा नहीं लिया। इनके अलावा सम्मान के साथ भी मिलने वाली किसी तरह की धनराशि को स्वीकार नहीं किया।’

उन्होंने इस सम्मान के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार व्यक्त किया। कहा, ‘यह सम्मान हमारे लिए हर्ष की बात है। लेकिन, बोर्ड ने यह फैसला लिया है कि सम्मान के साथ मिलने वाली धनराशि को स्वीकार नहीं किया जाएगा।’

गीता प्रेस को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के एलान के बाद पक्ष-विपक्ष में वार-पलटवार का खेल शुरू हो गया है। कांग्रेस गीता प्रेस को पुरस्कार देने की तुलना ‘सावरकर और गोडसे से कर रही, तो वहीं भाजपा ने कांग्रेस को घमंड में चूर बता दिया।
इसी पर, अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मिली चुनावी जीत के घमंड में चूर होकर कांग्रेस भारतीय संस्कृति पर खुला प्रहार कर रही है।

दरअसल, गांधी शांति पुरस्कार( Gandhi Peace Prize ) महात्मा गांधी द्वारा स्थापित आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में 1995 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के रूप में चुनने का फैसला किया।

इसी साल गीता प्रेस ( Gita Press ) ने 100 वर्ष पूरे किए हैं। बता दें कि गीता प्रेस की स्थापना करने वाले चूरू राजस्थान के रहने वाले जयदयालजी गोयंदका (सेठजी) गीता-पाठ, प्रवचन में बहुत रुचि लेते थे। व्यापार के सिलसिले में उनका कोलकाता आना-जाना होता रहता था। वहां वह दुकान कि गद्दियों में भी सत्संग किया करते थे। धीरे-धीरे सत्संगियों की संख्या इतनी बढ़ गई कि जगह की समस्या खड़ी होने लगी। इसपर उन्होंने कोलकाता में बिड़ला परिवार के एक गोदाम को किराए पर लिया और उसका नाम रखा गोविंद भवन।

बता दें, दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक गीता प्रेस की स्थापना सन् 1923 में हुई थी। केंद्रीय मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें 16.2 करोड़ श्रीमद् भगवद गीता शामिल हैं।

इस बीच, पीएम मोदी ने पुरस्कार जीतने के लिए गीता प्रेस को बधाई दी और क्षेत्र में इसके योगदान की सराहना की। पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि मैं गीता प्रेस( Gita Press ) , गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार ( Gandhi Peace Prize )2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है।यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी गोरखपुर स्थित ‘गीता प्रेस’ को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels