प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi )मंगलवार को पुणे में लोकमान्य तिलक पुरस्कार (Lokmanya Tilak Award) से सम्मानित किए गए। इस कार्यक्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) भी मौजूद रहे, जिनसे पीएम मोदी गर्मजोशी के साथ मिले। इस दौरान पीएम मोदी ने वहां भारी संख्या में आए लोगों को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि वह लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तिलक के जीवन से हम कई चीजें सीख सकते हैं।
कार्यक्रम में एनसीपी चीफ शरद पवार बतौर चीफ गेस्ट मौजूद रहे। मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के एक तरफ शरद पवार, तो दूसरी तरफ उनके भतीजे अजित पवार बैठे नजर आए।
पीएम मोदी ने कहा कि आज देश में ट्रस्ट सरप्लस नीतियों और लोगों की मेहनत दोनों में दिख रहा है, अविश्वास का माहौल रहेगा तो विकास असंभव है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत के लोगों ने बड़े बदलाव संभव किए हैं। भारत के लोगों ने देश को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया है।
आगे उन्होंने लोकमान्य तिलक को याद करते हुए कहा कि वह स्वतंत्र प्रेस के महत्व को समझते थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी। उन्होंने यह भी कहा कि आज अगर किसी विदेशी आक्रमणकारी के नाम पर बनी सड़क का नाम बदल दिया जाता है तो कुछ लोग असहज हो जाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि तिलक की भगवद्गीता में बहुत आस्था थी। अंग्रेजों ने उन्हें मांडले जेल भेज दिया था, लेकिन वहां भी उन्होंने भगवद गीता पर अपना शोध जारी रखा और गीता रहस्य लिखा और लोगों को कर्म की शक्ति से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि तिलक ने इस बात पर जोर दिया कि लोग खुद पर विश्वास करें।

मोदी ने कहा कि लोकमान्य तिलक में युवा प्रतिभा को पहचानने की अद्वितीय क्षमता थी और वीर सावरकर इसका एक उदाहरण थे। लोकमान्य तिलक को वीर सावरकर की क्षमता का एहसास हुआ और उन्होंने विदेश में उनकी शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब किसी पुरस्कार का नाम लोकमान्य तिलक के नाम पर रखा जाता है, तो जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पीएम ने यह भी कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल पर लोकमान्य तिलक के एक भाषण का गहरा प्रभाव पड़ा था। एक किस्से का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि तिलक लोगों को संबोधित करने के लिए अहमदाबाद गए थे। उन्होंने कहा, 40000 से ज्यादा लोग उन्हें सुनने आए थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि तिलक जी ने आज़ादी की आवाज़ को बुलंद करने के लिए पत्रकारिता और अखबार की अहमियत को भी समझा। लोकमान्य तिलक ने परंपराओं को भी पोषित किया था। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और आदर्शों की ऊर्जा से समाज को भरने के लिए शिव जयंती आयोजन शुरू किया। उन्होंने समाज को जोड़ने के लिए सार्वजनिक गणपति महोत्सव की नींव डाली। पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से मिले एक लाख रुपये नमामि गंगे परियोजना को समर्पित कर दिए हैं।
लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार (Lokmanya Tilak Award) उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए काम किया है। इनके योगदान को केवल उल्लेखनीय और असाधारण रूप में देखा जा सकता है। यह पुरस्कार हर साल 1 अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी से पहले यह लोकमान्य तिलक पुरस्कार (Lokmanya Tilak Award) पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा और प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के अलावा मशहूर व्यवसायी एन आर नारायणमूर्ति और ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन जैसे 40 दिग्गजों को दिया जा चुका है।