Friday, September 20, 2024

Delhi, INDIA, News

Delhi :’सुलभ शौचालय’ को इंटरनेशनल ब्रांड बनाने वाले बिंदेश्वर पाठक का दिल्ली में निधन, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने जताया शोक

Bindeshwar Pathak, the man who made Sulabh Shauchalay an international brand, dies in Delhi, condoled by President, PM

Bindeshwar Pathak, the man who made Sulabh Shauchalay an international brand, dies in Delhi, condoled by President, PM ( ) में  समाज सुधारक और ‘टॉयलेट मैन ऑफ इंडिया’ ख्याति अर्जित की ,जिन्होंने  सार्वजनिक स्वच्छता का बीड़ा उठाया ‘सुलभ इंटरनेशनल’ (Sulabh International) के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक (Bindeshwar Pathak) का मंगलवार को निधन हो गया। दिल्ली एम्स में बिंदेश्वर पाठक ने अंतिम सांस ली। इनकी पहचान प्रसिद्ध भारतीय समाज सुधारक के रूप में थी। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। पीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन देश के लिए गहरी क्षति है’।

बताया जा रहा है कि सुलभ इंटरनेशनल के कार्यालय में स्वतंत्रता दिवस के समारोह के बाद उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई थी और फिर उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था।जहां उनका निधन हो गया।

बुधवार सुबह 7 बजे दिल्ली के महावीर इनक्लेव स्थित सुलभ ग्राम में उनके शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद दिल्ली में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।

देश के हर शहर में जो सुलभ शौचालय देखते हैं, वह बिंदेश्वर पाठक (Bindeshwar Pathak) की ही देन है। उन्होंने सुलभ शौचालय को इंटरनेशनल  ब्रांड बना दिया। पाठक ने सुलभ शौचालय की शुरूआत की थी। बिहार के वैशाली जिले के एक गांव में 2 अप्रैल 1943 को पाठक का जन्म हुआ था।

बिंदेश्वर पाठक एक ऐसे घर में पले-बढ़े, जहां 9 कमरे थे। लेकिन शौचालय एक भी नहीं था। घर की महिलाएं शौच के लिए जल्दी सुबह उठकर बाहर जाती थीं। दिन में बाहर शौच करना मुश्किल होता था। इससे उन्हें कई समस्याएं और बीमारियां भी हो जाया करती थीं। इन बातों ने पाठक को बेचैन कर दिया। वे इस समस्या का हल निकालना चाहते थे। उन्होंने स्वच्छता के क्षेत्र में कुछ नया करने की ठानी और देश में एक बड़ा बदलाव लाने वाले बने।

उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से समाज शास्त्र में ग्रेजुएशन की। इसके बाद पटना यूनिवर्सिटी से मास्टर और पीएचडी की। साल 1968-69 में बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति के साथ उन्होंने काम किया था। यहीं समिति ने उनसे कहा कि वे सस्ती शौचालय तकनीक विकसित करने पर काम करें। उस समय एक उच्च जाति के पोस्ट ग्रेजुएट लड़के लिए शौचालय के क्षेत्र में काम करना आसान नहीं था। लेकिन वे कभी अपने इरादे से पीछे नहीं हटे। उन्होंने मैला ढोने और खुले में शौच की समस्या पर काम किया।

बिंदेश्वर पाठक 1968 में कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बिहार गांधी शताब्दी समारोह समिति के भंगी-मुक्ति (मेहतरों की मुक्ति) प्रकोष्ठ में शामिल हुए, जिससे उन्हें भारत में मैला ढोने वाले समुदाय की दुर्दशा के बारे में पता चला। इस समुदाय की स्थिति में सुधार के लिए उन्होंने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना कर नागरिकों को स्वच्छ शौचालय की सुविधा देने की पहल थी।

सुलभ इंटरनेशनल में उन्होंने दो गड्ढों वाला फ्लश टॉयलेट डेवलप किया। उन्होंने डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय का आविष्कार किया। इसे कम खर्च में घर के आसपास मिलने वाले सामान से ही बनाया जा सकता था। फिर उन्होंने देशभर में सुलभ शौचालय बनाना शुरू कर दिया। पाठक को अपने काम के लिए भारत सरकार से पद्म भूषण सम्मान मिला था।

पीएम मोदी ने कहा, डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन माना। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन में जबरदस्त सहयोग प्रदान किया। हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखता रहा।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels