मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh ) के सागर ( Sagar ) जिले का नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से मंजूरी के तीन महीने बाद सरकार ने शुक्रवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसका नाम भी बदला गया है। अब नया नाम वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व( ‘Veerangana Durgavati Tiger Reserve’) होगा। यह मध्यप्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व होगा। इसमें सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिले के करीब 1,41,400 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व( ‘Veerangana Durgavati Tiger Reserve’) की मंजूरी के बाद से वन विभाग नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व में बदलने की तैयारियों में जुटा है। यह टाइगर रिजर्व नौरादेही अभयारण्य और मध्यप्रदेश के सबसे छोटे वीरांगना रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर बनाया गया है।
नौरादेही अभयारण्य को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने वैज्ञानिक अध्ययन के बाद भविष्य में चीतों के लिए उपयुक्त क्षेत्र माना है। केंद्रीय एजेंसी की सहमति मिलने के बाद नौरादेही में चीतों के शिफ्ट होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। केंद्रीय एजेंसी की सहमति के संबंध में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव को पत्र लिखकर जानकारी दी थी। इसमें मंत्री ने बताया था कि भविष्य में चीता एक्शन प्लान के तहत चीता का प्रमोचन भविष्य में नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में किया जा सकता है।
जानकारों के अनुसार नौरादेही अभयारण्य की स्थापना 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इस सेंक्चुरी में बड़ी संख्या में वन्यजीव हैं, जिनमें तेंदुआ मुख्य हैं। एक समय यहां बाघ भी पाए जाते थे, लेकिन संरक्षण नहीं मिलने के कारण वे लुप्त हो गए थे। इसके बाद बाघों की संख्या बढ़ाने के तहत साल 2018 में नौरादेही अभयारण्य में नए बाघ और बाघिन को छोड़ा गया था। वर्तमान में नौरादेही में 12 बाघ हैं।
इसके अलावा चिंकारा, हिरण, नीलगाय, सियार, भेड़िया, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर, मोर, चीतल समेत कई अन्य वन्य जीव इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। वन विभाग इनके संरक्षण का काम करता है।
वन्य प्राणियों के लिए अनुकूल नौरादेही अभ्यारण्य अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व( ‘Veerangana Durgavati Tiger Reserve’) हो रूप में घोषित हो गया है. यह मध्यप्रदेश का सातवां और बुंदेलखंड का दूसरा टाइगर रिजर्व बन गया है।