आगरा में भू -माफिया और आगरा पुलिस (Agra police ) के एक ख़तरनाक गठजोड़ का खुलासा हुआ है जिसमें करोड़ों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा कराने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath ) की सरकार की साख को दांव पर लगा दिया गया। पुलिस की वर्दी को दागदार करते हुए एक पुलिस इंस्पेक्टर और कई अन्य अधीनस्थों ने करोड़ों की ज़मीन को हड़पने को बेताब एक भूमाफिया के कहने से दो पूरे परिवार को झूठे केस लगाकर गंभीर धाराओं में जेल भेज दिया।
अब जब फ़ज़ीहत हुई और आगरा पुलिस (Agra police )क्रूर चेहरा सामने आया तो आनन -फ़ानन में भूमाफ़िया के लिये काम करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर समेत 18 लोगों के खिलाफ डकैती का मुक़दमा दर्ज कर मामले की जांच के लिए पुलिस आयुक्त ने एसआईटी का गठन कर दिया है।
पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया है कि मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी से लेकर आगे तक की पूरी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा जिस दस हजार गज जमीन से परिवार का कब्जा खाली कराया गया था, उस जमीन को पीड़ित परिवार को वापस कर दिया गया है और अब वह परिवार उसी ज़मीन पर रह रहा है।
पुलिस आयुक्त ने कहा कि पुलिस को अपने स्तर पर किसी भी जमीन का कब्जा तब्दील कराने का हक नहीं है, जब तक कि किसी ने जबरन किसी की जमीन पर कब्जा न किया हो। उन्होंने कहा कि इस घटना से पुलिस और माफिया के गठजोड का संदेश न जाए इसके लिए विभाग में ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाएगा। अगर उनको ऐसी कोई शिकायत मिलती है या उनके सामने ये ऐसा मामला आता है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बताते चलें कि 26 अगस्त को आगरा पुलिस (Agra police )ने जगदीशपुरा क्षेत्र में रहने वाले रवि कुशवाह, शंकरिया कुशवाह और ओम प्रकाश को गाँजा बेचने के जुर्म में गिरफ़्तार किया था। इंजके पास से नौ किलोग्राम गाँजा बरामद दिखाया गया था। उसके बाद परिवार की दो महिलाओं को भी अवैध शराब बनाने और बेचने के जुर्म में जेल भेज दिया। 2 महीने बाद मामला पुलिस महानिदेशक तक पहुंचा जिसमें पूरा मामला साफ़ हो गया कि इसके पीछे जगदीशपुरा क्षेत्र में बोदला-लोहामंडी मार्ग पर बीएस कांप्लेक्स के पास बेशकीमती चार बीघा जमीन पर पुलिस की मिलीभगत से रातोंरात कब्जा कराने की साज़िश थी। इसके बाद शनिवार को तत्कालीन थाना प्रभारी जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार (वर्तमान थाना प्रभारी एमएम गेट) और उनके साथ शामिल 3 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। चार महीने से अधिक समय तक जेल में रहे बेकसूर रवि को आठ और शेष दो को नौ दिसंबर को जमानत मिली। हालाँकि विवेचक दारोगा आशीष कुमार त्यागी ने 17 सितंबर को ही तीनों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी। चार्जशीट में साक्ष्य के तौर पर खेत में गांजे के साथ खींचे गए फोटो लगाए गए हैं। इसमें तीन कट्टे गांजा और स्कूटर बरामद दिखाए गए।
रवि को जेल भेजे जाने के बाद उसकी पत्नी पूनम नेआगरा पुलिस (Agra police ) के अपर पुलिस आयुक्त केशव चौधरी के आफिस में गुहार लगाई थी। बताया कि उन्हें जमीन खाली न करने पर जेल भेजने की धमकियां मिल रही थीं। इसके पांच दिन बाद ही पुलिस ने पूनम और उसकी ननद पुष्पा को अवैध शराब बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद जमीन पर कब्जा कराया गया।
जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में बैनारा फैक्ट्री के पास BS कॉम्प्लेक्स के पास 4 बीघा जमीन है। नवंबर महीने में बोदला रोड निवासी उमा देवी ने डीजीपी से मामले की शिकायत की थी। इसमें उन्होंने बताया, उनके ससुर सरदार टहल सिंह के नाम से खतैना में 4 बीघा जमीन है। उमा के ससुर टहल सिंह और पति सरदार जसवीर सिंह की मौत हो चुकी है। इसके बाद जमीन पर उमा का कब्जा था। जमीन की देखरेख का जिम्मा टहल सिंह ने रवि कुशवाहा और शंकरलाल कुशवाहा को दिया था।
दोनों भाई करीब 35 साल से परिवार समेत इसी जमीन पर रह रहे थे। रवि की पत्नी पूनम और बहन पुष्पा भी वहां रहती थी। उमा देवी का कहना है कि 2017 में उनकी जमीन पर कब्जे का प्रयास किया गया था, उस समय भूमाफिया कामयाब नहीं हो पाए थे। 20 अक्टूबर को रात 11 बजे कमल चौधरी, धीरू चौधरी व अन्य हथियार लेकर आए और जमीन पर लगे गेट का ताला तोड़कर अवैध कब्जा कर लिया। पुलिस विभाग में अच्छी पैठ रखने वाले एक शख्स ने कब्जा दिलाने का जिम्मा लिया था।
रवि ने बताया, “हम गरीब है। हमारी पैरवी करने वाला भी कोई नहीं था। घरवाले भी परेशान थे। पत्नी और बहन ने हिम्मत जुटा कर पैरवी शुरू की। पत्नी पूनम ने अपर पुलिस आयुक्त के पास जाकर प्रार्थना पत्र दिया। मगर, प्रार्थना पत्र देने के 5 दिन पुलिस ने उन्हें अवैध शराब के फर्जी केस में जेल भेज दिया।”
इतना कहते ही रवि का गला भर आया। आंखों में आंसू आ गए। रोते हुए बोले- मुझे जेल भेज दिया, ये मैं सहन कर गया, लेकिन पत्नी और बहन को जब जेल भेजा तो जेल में फूट-फूट कर रोया। मेरा तीन साल का बच्चा भी मां के साथ जेल गया। अब हमें जमानत तो मिल गई, लेकिन अभी डर लगता है। पुलिस को देखते ही लगता है कि कहीं हमें फिर से जेल न भेज दें। हम तो अब डर के चलते शहर से बाहर छिपकर रह रहे हैं।
रवि कुशवाहा की पत्नी पूनम की कहानी और भी दर्द भरी है। डरते-डरते वह पति की बेगुनाही साबित करने को अधिकारियों के यहां पहुंची। पुलिसकर्मी 9 अक्टूबर की रात को उसे घर से पूछताछ के बहाने थाने ले गए। थाने में कहा कि तू शराब बेचती है। इसके बाद सामान जुटाया और जेल भेज दिया। पूनम कहती है कि जो पुलिस ने किया उसकी सजा भगवान देगा। उसके साथ तीन साल का मासूम भी जेल में 51 दिन रहा था।
रवि की बहन पुष्पा ने बताया कि भाई के जेल जाने के बाद भाभी पूनम घर पर अकेली रह गई थी। वह भाभी के पास रहने चली गईं। नौ अक्टूबर की रात वह खाना बना रही थी। पूनम भी वहां थी। 12 से 15 पुलिसकर्मी पहुंचे और उन्हें पकड़ लिया। थाने ले जाने लगे। उनसे कहा कि तू दूसरे प्रदेश की शराब बेचती हैं। मैं रोईं, हाथ-पैर जोड़े। किसी का दिल नहीं पसीजा। पुलिस पूनम के साथ उसके तीनों बच्चों को भी थाने ले गई थी।
आगरा में करोड़ों की जमीन पर कब्जा कराने के लिए गरीबों को जेल भेजने वाले आगरा पुलिस (Agra police ) के इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार पर अधिकारी मेहरबान रहे। थाना जगदीशपुरा में तैनाती से पहले वो कई चौकियों पर रहा, लेकिन वहां वो अपनी जिम्मेदारी नहीं संभाल सका। लाइन हाजिर और निलंबन के बाद भी उसे जगदीशपुरा थाने का एसओ बना दिया। उसकी तैनाती पर पुलिस महकमे में दबी जुबान में सवाल भी उठे, लेकिन अधिकारी इन सबसे बेफ्रिक रहे।
जगदीशपुरा में जमीन पर कब्जा कराने के मामले में चर्चाओं में आए तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार चौकी वर्ष 2015 बैच के सब इंस्पेक्टर हैं। जितेंद्र कुमार पर कमिश्नरेट बनने के बाद ही अधिकारियों की मेहरबानी शुरू हुई थी। इससे पहले वे कोविड काल में पिनाहट थाने में तैनात थे। वहां संघ पदाधिकारी को डंडे से पीटने के मामले में लाइन हाजिर हुए। इसके बाद उन्हें सिकंदरा की रुनकता पुलिस चौकी पर तैनाती मिल गई।
अप्रैल 2022 में सांप्रदायिक मामले में लापरवाही पर उन्हें निलंबित किया गया था। इसके बाद वे खंदौली की टोल प्लाजा पुलिस चौकी पर तैनात रहे। कमिश्नरेट बनने के बाद उन्हें बरहन थाने में एसएसआइ बनाया गया। यहां से पहली बार एसओ जगदीशपुरा की बड़ी जिम्मेदारी मिल गई। उस समय महकमे में उनके पिछले कार्यकाल को देखते हुए लोग सवाल उठा रहे थे। मगर, अधिकारियों ने नजरअंदाज किया। उनके कार्यकाल में उनके अधीनस्थ कई पुलिसकर्मी उनके रवैए से खफा थे, लेकिन वो उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
ये पहला मामला नहीं,इस से पहले भीथाना शाहगंज पुलिस ने 20 जून 2023 को दबिश देकर व्यापारी पिता-पुत्र और भतीजे को पकड़ा था। हवालात में पहले से बंद युवकों से पिटाई कराई थी। व्यापारी परिवार से कोरे कागजात पर हस्ताक्षर कराए गए। व्यापारी की किनारी बाजार स्थित दुकान का बैनामा कराया गया। इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। इस पर कोई सख़्त कार्रवाई करने की बजाय इस प्रकरण को निरीक्षक लाइन हाज़िर कर दबा दिया गया।
पंजीकृत कराया गया है एवं हटाए गए परिवार को पुनः विस्थापित कराया गया है। पंजीकृत मुकदमे व पुलिस/आबकारी टीम की संलिप्तता की विभागीय जांच DCP सिटी की अध्यक्षता में एसआईटी से कराकर,जांच में प्राप्त तथ्यों के आधार पर जिसकी भी संलिप्तता पाई जाएगी उन लोगों के विरुद्ध सख्त से सख्त (2/3) pic.twitter.com/UwhpNV5aRQ
— POLICE COMMISSIONERATE AGRA (@agrapolice) January 7, 2024
पंजीकृत कराया गया है एवं हटाए गए परिवार को पुनः विस्थापित कराया गया है। पंजीकृत मुकदमे व पुलिस/आबकारी टीम की संलिप्तता की विभागीय जांच DCP सिटी की अध्यक्षता में एसआईटी से कराकर,जांच में प्राप्त तथ्यों के आधार पर जिसकी भी संलिप्तता पाई जाएगी उन लोगों के विरुद्ध सख्त से सख्त (2/3) pic.twitter.com/UwhpNV5aRQ
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