उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के जौनपुर (Jaunpur) जिले में नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का चार साल पहले अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने, गालियां व धमकी देने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह ( former MP Dhananjay Singh) और सहयोगी संतोष विक्रम को सात साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। ऐसे में वे अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह ( former MP Dhananjay Singh) जौनपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब इसकी संभावना धूमिल होती दिखाई दे रही है। भाजपा ने यहां से मुंबई में उत्तर भारतीयों के नेता के रूप में पहचान रखने वाले कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है।
सरकारी अधिवक्ता लाल बहादुर पाल ने पत्रकारों को बताया कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ( former MP Dhananjay Singh) व संतोष विक्रम सिंह मंगलवार को तीन बजे कोर्ट में उपस्थित हुए। इसमें कोर्ट के समक्ष अपहरण व रंगदारी के मामले में दोष सिद्ध हुए। अभिनव सिंघल नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर थे जो मुकदमा दर्ज कराया था। उसके बाद पुलिस ने विवेचना करके आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया था।बाद में वादी अभिनव सिंघल कोर्ट में अपने बयान से मुकर गए तथा दूसरा गवाह भी अपने बयान से मुकर गया था लेकिन कोर्ट ने पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोष सिद्ध ठहराया। वादी मुकदमा अभिनव सिंघल कोर्ट में घटना से मुकर गए थे तथा दूसरा गवाह भी घटना से मुकर गया था। कोर्ट ने हवाला दिया कि सभी बातें जो पत्रावली में उपलब्ध थीं उसे लिख दी गई हैं उसे देख कर ही दोष सिद्ध ठहराया गया है।
मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह ( former MP Dhananjay Singh) व उनके साथी विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तहरीर में कहा था कि रविवार की शाम को पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अपने साथी विक्रम सिंह के साथ दो व्यक्ति पचहटिया स्थित साइड पर पहुंचे। वहां फॉर्च्यूनर गाड़ी में वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास मोहल्ला कालीकुत्ती में ले गए। वहां धनंजय सिंह ( Dhananjay Singh) पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे। वादी के इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगा। किसी प्रकार उनके चंगुल से निकलकर वादी लाइन बाजार थाने पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया। पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार करके कोर्ट में दूसरे दिन पेश किया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। यहां की अदालत से जमानत निरस्त हुई। बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिली। धनंजय ने उस समय जेल जाते समय आरोप लगाया था कि राज्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक ने षड्यंत्र कर उन्हें फंसाया है। पत्रावली सुनवाई के लिए एमपी एमएलए कोर्ट भेजी गई। वहां सुनवाई चल रही थी। इसी बीच हाईकोर्ट एमपी एमएलए से जुड़ी सभी पत्रावली संबंधित जिला अदालत में भेजने का आदेश दिया।