केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड(CBSE) (सीबीएसई) ने डमी छात्रों (Dummy Students) और अयोग्य उम्मीदवारों को दाखिला देने के आरोप में 20 विद्यालयों की मान्यता रद्द कर दी है, जिनमें पांच दिल्ली के विद्यालय शामिल हैं। यह जानकारी बोर्ड के सचिव हिमांशु गुप्ता ने शुक्रवार को दी।.बोर्ड ने तीन विद्यालयों के ग्रेड का स्तर भी कम कर दिया है।सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूल 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को ‘डमी स्कूलिंग’ करा रहे हैं।
सीबीएसई (CBSE) सचिव हिमांशु गुप्ता ने बताया कि इन स्कूलों में नियम विरुद्ध आचरण करने के साथ-साथ कदाचार में लिप्त रहने के आरोप हैं। उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के अलावा केरल और उत्तराखंड के स्कूलों पर भी गाज गिरी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और असम के भी कई स्कूलों की मान्यता भी रद्द की गई है।
दिल्ली, पंजाब और असम के तीन स्कूलों की मान्यता को डाउनग्रेड यानी घटा दिया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मुताबिक जिन स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है, इनमें डमी छात्रों (Dummy Students)और अयोग्य उम्मीदवारों को दाखिला देने के प्रमाण मिले हैं। सचिव हिमांशु गुप्ता ने 22 मार्च को जारी बयान में कहा, क्या स्कूल संबद्धता और परीक्षा उपनियमों में निहित प्रावधानों और मानदंडों के अनुसार चल रहे हैं? यह जांचने के लिए देश भर के सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों में औचक निरीक्षण किया गया।
डमी प्रवेश में छात्र स्कूल में दाखिला तो लेता है लेकिन उस स्कूल में आने के बजाए बाहर जाकर किसी ट्यूशन इंस्टीट्यूट से तैयारी करता है। उसकी हाजिरी स्कूल में लगती है। इसकी एवज में अभिभावक भी स्कूल को सामान्य से अधिक फीस देते हैं।

अभिभावक इसलिए खुश हो जाते हैं कि उनके बच्चे को स्कूल की नियमित पढ़ाई के बजाए एक अच्छे इंस्टीट्यूट से अच्छी शिक्षा मिल रही है। उनका बच्चा अन्य छात्रों से अधिक नंबर लाएगा। अधिकतर निजी स्कूलों में मेरिट लाने वाले छात्र ऐसे ही इंस्टीट्यूट में पढ़ते हैं। इससे इंस्टीट्यूट व स्कूल दोनों को लाभ होता है। लेकिन यह सीबीएसई के करिकुलम का उल्लंघन है।
डमी स्कूल रेगुलर स्कूल को निगल रहे हैं? इस पर गुरुग्राम के एक स्कूल के प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बोर्ड एग्जाम का अब प्रेशर ही नहीं रहा है।
अगर आप अच्छे कॉलेज में एडमिशन चाहते हैं तो बोर्ड एग्जाम यह नहीं तय कर रहा, बल्कि IIT-JEE, NEET, CUET तय कर रहा। इसलिए कोचिंग सेंटर फैल गए हैं। उनके जरिए डमी स्कूल रेगुलर स्कूलों को निगल रहे हैं। बोर्ड एग्जाम का महत्व घट रहा है जबकि एंट्रेस एग्जाम का महत्व बढ़ गया है।
दिल्ली के एक स्कूल के प्रिंसिपल ने भी स्कूल और अपने नाम की गोपनीयता की शर्त पर कहा-उनके स्कूल में 12वीं में 18 स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो स्कूल नहीं आते। लेकिन उनका अटेंडेंस रेगुलर लगता है।