तेलंगाना ( Telangana ) की राजधानी हैदराबाद ( Hyderabad ) मुस्लिम बहुल सीट है, लेकिन मतदाता सूची से इस बार पांच लाख 41 हजार वोटों के कम हो जाने एवं भाजपा की माधवी लता ( Madhavi Latha )के प्रचार के निराले अंदाज से विरोधी खेमे में बेचैनी है। यहां के 20 लाख वोटर सांसद नहीं, बल्कि मुसा नदी के तट पर बसे इस ऐतिहासिक शहर का भविष्य चुनने जा रहे हैं।चालीस साल से इस संसदीय सीट पर राज करने वाले ओवैसी परिवार और एआईएमआईएम (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi )को कड़ी चुनौती मिल रही है।
हैदराबाद ( Hyderabad ) संसदीय चुनाव के परिणाम के आधार पर तेलंगाना की राजनीति भी करवट ले सकती है। यह भी तय हो सकता है कि 1591 में मुहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा बसाए गए हैदराबाद पर ओवैसी का कब्जा आगे भी जारी रहेगा या दक्षिण की ओर बढ़ रही भाजपा के कदम को माधवी लता से सहारा मिलेगा। ओवैसी जीतते हैं तो सब कुछ यथावत रहेगा, किंतु अगर जीत भाजपा की होती है तो इस शहर की पहचान की पुनर्व्याख्या तय है-भाग्यनगर या हैदराबाद।
माधवी ( Madhavi Latha )के समर्थकों को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की गारंटी के पूरा होने की प्रतीक्षा है। पांच महीने पहले तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने दावा किया था कि राज्य की सत्ता में आने पर 30 मिनट के भीतर हैदराबाद ( Hyderabad ) का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाएगा।
आजादी के बाद से हैदराबाद ( Hyderabad ) में लोकसभा के हुए कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत हुई है। सिर्फ सात बार ही अन्य को मौका मिला है। कांग्रेस को अंतिम जीत 1980 में मिली थी। 1984 में असदुद्दीन के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने पहली बार कांग्रेस की जीत के सिलसिले पर ब्रेक लगाया था। उसके बाद किसी दल की दाल नहीं गली। लगातार छह चुनाव सलाहुद्दीन ने जीते और असदुद्दीन ने चार चुनाव।साल 2024 में भी यदि परिणाम नहीं बदला तो यह उनकी लगातार पांचवी जीत होगी।

लंबे समय से ओवैसी परिवार के प्रभुत्व का पर्याय बने इस क्षेत्र में परिवर्तन के प्रयासों को मंजिल तक पहुंचाना आसान नहीं। हैदराबाद संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की सात सीटें हैं। इनमें से छह पर ओवैसी की पार्टी का कब्जा है।
पिछले दो चुनावों से भाजपा दमदारी से लड़ रही है, मगर हार का अंतर कम नहीं कर पा रही। इस बार उम्मीद के साथ माधवी को उतारा है। चेहरा नया है, लेकिन पहचान पुरानी। माधवी प्रखर हिंदू नेता के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। गौशाला चलाती हैं। स्लम बस्तियों की मुस्लिम महिलाओं के सुख-दुख में खड़ी रहती हैं। आर्थिक सहायता दिलाती हैं। सनातन की प्रखर वक्ता हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।
भाजपा ने ओवैसी के विरुद्ध सशक्त प्रत्याशी देकर विपक्ष के उन आरोपों को भी आईना दिखाया है, जो एआईएमआईएम को भाजपा की बी टीम बताते हैं। माधवी लता खुद बोलती हैं कि ओवैसी की पार्टी को अब कोई बी टीम नहीं कह सकता है, क्योंकि भाजपा ने मुझे बुलडोजर की ताकत देकर हैदराबाद भेजा है। माधवी के दावे में मुस्लिम महिलाओं का भी दम नजर आता है, क्योंकि तीन तलाक जैसे मुद्दे पर काम करते हुए उन्हें गरीब मुस्लिम महिलाओं का साथ मिला था।
हैदराबाद लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार कोम्पेला माधवी लता( Madhavi Latha ) के पास 221.37 करोड़ रुपये की पारिवारिक संपत्ति है, जो उन्हें तेलंगाना के सबसे अमीर उम्मीदवारों में से एक बनाती है। वह, उनके पति कोम्पेला विश्वनाथ, (दोनों व्यवसायी) और उनके तीन आश्रित बच्चों के पास 165.46 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है और दंपति के पास 55.91 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। लता के पति विश्वनाथ कोमपल्ले आईआईटी मद्रास से पढ़ाई कर चुके हैं और फिनटेक व हेल्थकेयर कंपनी के संस्थापक हैं।