दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court) ने मंगलवार को आबकारी नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में आप नेता पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ( Manish Sisodia ) को दूसरी बार जमानत देने से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा, सिसोदिया ने सत्ता का दुरुपयोग किया और जनता का भरोसा तोड़ा। कोर्ट ने आशंका जताई कि जमानत मिलने पर सिसोदिया सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज मामलों में सिसोदिया की दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी। दोनों मामलों में सिसोदिया ( Manish Sisodia ) फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की यह टिप्पणी कि आरोपी व्यक्तियों की ओर से मुकदमे में देरी करने के लिए ठोस प्रयास किया गया था उचित नहीं है।
उधर, सुबह राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 31 मई तक बढ़ा दी। आज उनकी न्यायिक हिरासत खत्म हो रही थी, इसलिए उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल से कोर्ट में पेश किया गया।
मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप में कैद मनीष सिसोदिया ( Manish Sisodia ) की जमानत याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के सत्ता गलियारों में बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनका आचरण ‘लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ बड़ा विश्वासघात’ है। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर सिसोदिया को जमानत दे दी गई तो वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं, गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया ( Manish Sisodia ) ने जमानत देने का मामला अपने पक्ष में नहीं बनाया। अदालत ने कहा, मामले में एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि सिसोदिया ने अपने लक्ष्य के अनुरूप सार्वजनिक फीडबैक तैयार करके उत्पाद शुल्क नीति बनाने की प्रक्रिया को विकृत कर दिया। यह देखते हुए कि भ्रष्टाचार शराब नीति बनाने की सिसोदिया की इच्छा से उत्पन्न हुआ, न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि आप नेता ने नीति निर्माण में हेरफेर करने की कोशिश की और उनके द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट से भटक गए। अदालत ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया की अखंडता से समझौता किया गया।
उन्होंने कहा पाया गया कि सिसौदिया ने सीबीआई मामले में जमानत के लिए ट्रिपल टेस्ट पास नहीं किया क्योंकि यह स्वीकार किया गया है कि वह अपने द्वारा इस्तेमाल किए गए दो फोन पेश करने में विफल रहे हैं और दावा किया है कि वे क्षतिग्रस्त हो गए थे। कोर्ट ने कहा कि सिसौदिया द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
लोक सेवक हैं कई गवाह
अदालत ने कहा कि कई गवाह लोक सेवक हैं और उन्होंने आवेदक के खिलाफ बयान दिए हैं और इस प्रकार उनके द्वारा उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।पीएमएलए मामले के संबंध में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष प्रथम दृष्टया सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाने में सक्षम था। हालांकि, अदालत ने कहा कि सिसोदिया को हर हफ्ते अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति दी जाएगी और ट्रायल कोर्ट का उन्हें ऐसा करने की अनुमति देने वाला आदेश जारी रहेगा।
इससे पहले एक मामले में राउज ऐवन्यू कोर्ट ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 31 मई तक बढ़ाने का आदेश दिया। मनीष सिसोदिया ( Manish Sisodia ) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल से कोर्ट में पेश हुए। बात दें कि 14 मई को मामले की सुनवाई में आप नेता, सीबीआई और ईडी की ओर से दलीलें सुनने के बाद अदालत ने याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सिसोदिया 26 फरवरी, 2023 से हिरासत में हैं। सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के बाद उन्हें 9 मार्च 2023 को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था।
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— Live Law (@LiveLawIndia) May 21, 2024