सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने बुधवार को मद्रास हाइकोर्ट ( Madras High Court,)के एक फैसले को पलटते हुए प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (PFI) के आठ कथित सदस्यों की जमानत रद्द कर दी। पीएफआई सदस्यों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने पीएफआई सदस्यों की जमानत रद्द करते हुए उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा है।
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने एनआईए की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अपराधों की गंभीरता और जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को देखते हुए प्रथम दृष्टया जमानत देने के आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता। पीठ ने कहा कि बेल देने का आदेश अगर गलत है तो इसमें हस्तक्षेप किया जा सकता है।
पिछले साल अक्टूबर में मद्रास हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के आठ आरोपियों – बराकथुल्ला, एम.ए. अहमद इदरीस, मोहम्मद आबूथाहिर, खालिद मोहम्मद, सैयद इसाक, खाजा मोहिदीन, यासर अराफात और फैयाज अहमद को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि अब तक एकत्र किए गए साक्ष्य और दस्तावेज ये बताने के लिए काफी नहीं हैं कि आरोप सही हैं। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को चरमपंथी विचारधारा फैलाने वाला एक इस्लामी संगठन माना जाता है। केंद्र ने सितंबर 2022 में इसे बैन कर दिया था।
फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा राष्ट्रीय सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि है और आतंकवाद से कोई भी संबंध प्रतिबंधित होना चाहिए। जमानत पर रिहा चल रहे प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (PFI) आरोपी बरकतुल्लाह, इदरीस, मोहम्मद अबुताहिर, खालिद मोहम्मद, सैयद इशाक, खाजा मोहिद्दीन, यासर अराफात और फयाज अहमद हैं। इन सभी को सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
