पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee ) सरकार को संदेशखाली केस ( Sandeshkhali case ) में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने बंगाल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
दरअसल, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली केस( Sandeshkhali case ) में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल उठाया और पूछा कि राज्य सरकार को इस मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है? आखिरकार राज्य सरकार किसी को बचाना क्यों चाहती है?
दरअसल, जैसे ही सुप्रीम कोर्ट में संदेशखाली केस( Sandeshkhali case ) पर सुनवाई शुरू हुई। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने पूछा कि आखिर किसी को बचाने में राज्य सरकार को इतनी दिलचस्पी क्यों है? सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर ममता सरकार के वकील ने कहा कि याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धन्यवाद, याचिका खारिज।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को खुद से संज्ञान लेते हुए संदेशखाली केस( Sandeshkhali case )की जांच सीबीआई को सौंपी थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, इस पर 29 अप्रैल को भी सुनवाई हुई थी।
उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि किसी निजी शख्स के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार ने याचिका क्यों लगाई है। इसके बाद कोर्ट ने कहा था कि मामले को चुनाव के बाद जुलाई में सुनेंगे।
आज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के सामने पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उन्होंने बताया कि 43 FIR की जांच के लिए व्यापक निर्देश दिए गए हैं। जिनमें राशन घोटाला भी शामिल है।
इस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संदेशखाली को लेकर महीनों तक राज्य सरकार ने कुछ नहीं किया। राज्य सरकार किसी एक शख्स को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है।