Friday, September 20, 2024

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Odisha: 46 साल बाद खुला ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर का 12वीं सदी का ‘रत्न भंडार’,खजाने के लिए लकड़ी के 6 संदूक भेजे गए

Ratna Bhandar of Puri's Jagannath Temple reopened after 46 years for inventory evaluation

 (  ) के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित खजाना ‘रत्न भंडार’ (Ratna Bhandar) आज खुल गया है। राज्य सरकार आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची बनाने के लिए इस खजाने को 46 साल बाद खोला गया है। इससे पहले यह सन् 1978 में खोला गया था।

 पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ (Ratna Bhandar) आज (14 जुलाई) दोपहर 1:28 बजे खोल दिया गया। ओडिशा मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसकी पुष्टि की है। इस दौरान भंडार गृह में सरकार के प्रतिनिधि, ASI के अधिकारी, श्री गजपति महाराज के प्रतिनिधि समेत 11 लोग मौजूद हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, सरकार रत्न भंडार (Ratna Bhandar) में मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग करेगी, जिसमें उनके वजन और निर्माण जैसे डिटेल होंगे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सुपरिटेंडेंट डीबी गडनायक ने कहा कि इंजीनियर्स मरम्मत कार्य के लिए रत्न भंडार का सर्वे करेंगे।

मंदिर का खजाना (Ratna Bhandar) आधिकारिक तौर पर आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था। खजाना खोलने से पहले प्रशासन ने लकड़ी के भारी 6 संदूक मंगाए। एक संदूक उठाने के लिए 8 से 10 लोगों को लगना पड़ा। इन्हें रत्न भंडार गृह में भेजा गया है।

पहले अक्सर अफवाहें उड़ती रहती थीं कि रत्न भंडार (Ratna Bhandar) में सांप हैं। रत्न भंडार खुलने के बाद मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि समिति के सदस्य जब वापस आए तो उन्होंने कहा कि खजाने के अंदर कोई सांप नहीं है। हालांकि टीम ने इसके लिए पहले ही तैयार कर ली थी। सांप पकड़ने वालों की दो टीमें बनाई गई थीं, एक अंदर गई थी और एक टीम बाहर तैनात रही।वहीं, मंदिर के एक सेवादार के मुताबिक रत्न भंडार के गहनों में पानी मिला है।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरबिंद पाधी ने बताया कि आंतरिक रत्न भंडार (Ratna Bhandar) को ताले तोड़कर खोला गया। आंतरिक रत्न भंडार का सामान अलमारियों और संदूकों में है। रविवार को आंतरिक रत्न भंडार का सामान ट्रांसफर नहीं किया जा सका और समय खत्म हो गया, इसलिए अब यह काम किसी और दिन होगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुरी मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने बताया है कि कहा कि सारा काम SoP के मुताबिक किया गया है। बाहरी रत्न भंडार से जो कुछ भी निकालने की जरूरत है उसे बाहर निकालकर एक टेम्परेरी स्ट्रॉन्गरूम में रखा गया है। जस्टिस रथ और बाकी सदस्यों के सामने इनकी लिस्ट भी बना ली गई है और बक्सों को सील कर दिया गया है।

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है। कहा जाता है कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को जेवरात चढ़ाए थे। उन सभी को रत्न भंडार में रखा जाता है। इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमत बेशकीमती बताई जाती है। आज तक इसका मूल्यांकन नहीं किया गया है। यह ऐतिहासिक भंडार जगन्नाथ मंदिर के जगमोहन के उत्तरी किनारे पर है।बता दें, पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1952 के तहत तैयार किए गए अधिकारों के रिकॉर्ड में भगवान जगन्नाथ के आभूषणों की एक सूची शामिल है।

 

Jaba Upadhyay

Jaba Upadhyay is a senior journalist with experience of over 15 years. She has worked with Rajasthan Patrika Jaipur and currently works with The Pioneer, Hindi.