Saturday, April 19, 2025

INDIA, News, Religion, Socio-Cultural

Odisha : ओडिशा में भुवनेश्वर का प्राचीन लिंगराज मंदिर ,यहां ‘शिव’ के हृदय में बसते हैं ‘हरि’

 (  )  के भुवनेश्वर में स्थित प्रसिद्ध 11वीं सदी के लिंगराज मंदिर(  Lingaraj Temple)  भारत के सबसे पुराने मंदिरों में  इसका विशेष महत्व है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ विष्णु की भी पूजा की जाती है।यहां हर साल लाखों की संख्या में भक्त अपने अराध्य के दर्शन के लिए आते हैं।

लिंगराज मंदिर(  Lingaraj Temple)  भगवान त्रिभुनेश्वर को समर्पित है। इसे 617-657 में लाटेंडुकेशरी ने बनवाया था। इसका वर्तमान स्वरूप 1090- 1104 में बना था। इसके कुछ हिस्से 1400 साल से भी पुराने बताए जाते हैं। लिंगराज मंदिर का वर्णन छठीं शताब्दी के लेखों में मिलता है। यह उत्तर भारत के मंदिरों में रचना सौंदर्य तथा शोभा और अलंकरण में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह अनुपम स्थापत्य कला के लिए भी प्रसिद्ध है।

लिंगराज मंदिर (  Lingaraj Temple) को लेकर ऐसी मान्यता है कि भुवनेश्वर नगर का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। दरअसल भगवान शिव की पत्नी को यहां भुवनेश्वरी कहा जाता है। वहीं लिंगराज का अर्थ होता हो, लिंगम के राजा, जो यहां भगवान शिव को कहा जाता है। पहले इस मंदिर में शिव की पूजा कीर्तिवास के रूप में की जाती थी, फिर बाद में हरिहर के रूप में की जाने लगी। भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर शहर का एक मुख्य लैंडमार्क है।

लिंगराज मंदिर (  Lingaraj Temple) पुरी के जगन्नाथ मंदिर का सहायक शिव मंदिर है। मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु लिंगराज मंदिर में दर्शन करके अपनी यात्रा को पूरा करते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव हरिहर रूप में विराजमान हैं, यानी शिव और विष्णु एक संयुक्त रूप में विराजमान हैं। लिंगराज मंदिर कलिंग और देउला शैली से निर्मित है। मंदिर को चार भागों में बांटा गया है, जिसमें गर्भ गृह, यज्ञ शाला, भोग मंडप और नाट्यशाला शामिल है। इसके साथ ही मंदिर के आंगन में देवी भगवती को समर्पित एक छोटा सा मंदिर बना है।

लिंगराज मंदिर की बनावट और कलाकृतियां इतनी आकर्षक हैं, कि यहां का नजारा देखते ही बनता है। इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में राजा जाजति केशती द्वारा बनवाया माना जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है, कि यहां केवल हिंदू धर्म से जुड़े लोगों को ही प्रवेश  दिया जाता है।

सावन महीने के पहले सोमवार को राजधानी भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर के साथ प्रदेश भर के शिवालयों में कांवरियों की भीड़ देखने को मिली। विभिन्न शिवालयों के बाहर भोर से ही कांवरिया जल चढ़ाने के लिए कतार में लगे रहे।

शिवालय भोले बाबा के जयकारे से गुंंजायमान रहे। बोलबम के सैकड़ों भक्त भगवान लिंगराज, बाबा धवलेश्वर, बाबा अखंडलमणि में पहुंचकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने के साथ ही देवों के देव महादेव की पूजा किए। मंदिर परिसर बोल बम के जयकारे से गुंजयमान रहा।

 

Jaba Upadhyay

Jaba Upadhyay is a senior journalist with experience of over 15 years. She has worked with Rajasthan Patrika Jaipur and currently works with The Pioneer, Hindi.