राजस्थान की राजधानी जयपुर ( Jaipur ) में अनेक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं, इन्हीं में एक मंदिर है झाड़खंड महादेव मंदिर (Jharkhand Mahadev Temple)भगवान शिव को समर्पित अपनी तरह का यह एक अनोखा मंदिर है। यहां मान्यता है कि श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की उपासना और अभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती हैं।सावन के महीने में भगवान शिव मंदिर के दर्शन के लिए भक्तों की विशेष कतारे लगती हैं।
यहां हज़ारों पक्षीयो़ं के झुंड की मौजूदगी और सुबह मंदिर के पट खुलते ही उनका कलरव रोमांचित कर देता है ।
जयपुर शहर के वैशाली नगर के गांव प्रेमपुरा में झारखंड महादेव मंदिर (Jharkhand Mahadev Temple)स्थित इस मंदिर के नाम से आपको भी आश्चर्य हो रहा होगा कि राजस्थान में स्थित होने के बावजूद इसका नाम झारखंड महादेव मंदिर आखिर क्यों रखा गया है। दरअसल इसे समझने के लिए आपको इसके इतिहास की कुछ बातें जाननी पड़ेंगी।
कभी शुद्ध आबो-हवा से सरोबार रहने वाले झाडख़ंड महादेव मंदिर (Jharkhand Mahadev Temple)को तपस्वी बाबा गोबिंदनाथ के शिष्य बब्बू सेठ उर्फ गोबिंद नारायण सोमानी ने शिव देवालयों का पंचनाथी शिव धाम बनाया। सन 1916 में पिता जगदीश नारायण की मृत्यु के बाद बब्बू सेठ मित्रों के साथ झाडख़ंड महादेव मंदिर आए। उन्होंने बाबा गोबिंदनाथ को वहां तपस्या में लीन देखा और उनसे प्रभावित होकर सेवा करने लगे।

यह झाडख़ंड महादेव मंदिर (Jharkhand Mahadev Temple) जैसा आज दिखता है, पहले ऐसा नहीं था।एक समय में यहां जंगल हुआ करता था, जंगल की झाड़ियों से झाड़ और खंड अर्थात क्षेत्र को मिलाकर इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव मंदिर पड़ा।साल 1918 में जब मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था। तब यहां सिर्फ एक छोटा सा कमरा हुआ करता था। यानी कि शिवलिंग था जोकि चार ओर दीवार से ढ़का था। उस वक्त इसको ऐसे ही छोड़ दिया गया।बाद में साल 2000 में जब मंदिर के जीर्णोद्धार की बात आई तो इसे नया रूप दिया गया। और यह नई डिजाइन दक्षिण के मंदिरों जैसी बनाई गई।
इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है। हालांकि मंदिर का केवल मुख्य द्वार ही दक्षिण भारतीय मंदिरों जैसा है। अंदर गर्भगृह उत्तर भारतीय मंदिरों से ही प्रेरित है। साल 2000 में जब इस मंदिर का पुन:निर्माण हो रहा था तो इसकी जिम्मदारी ट्रस्ट के चेयरमैन जय प्रकाश सोमानी को दी गई थी। सोमानी अक्सर दक्षिण भारत के टूर पर जाया करते थे। उन्हें वहां के मंदिर काफी पसंद आए फिर इस मंदिर का निर्माण भी दक्षिण भारतीय शैली में करवाया गया।मंदिर परिसर अभी पुनर्निर्माण का काम चल रहा है इस लिये अभी कुछ हिस्से ढक दिया गया है ।
सावन में बड़ी संख्या में भक्त झाड़खंड महादेव मंदिर में पहुंचते हैं। सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां शिवलिंग का अभिषेक करनेवाले श्रद्धालुओं की कतारें लगती हैं। अगर आप सावन में जयपुर जाएं तो झाड़खंड महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन करना न भूलें।