देश में एक ऐसा मंदिर है, जहां दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग ( Shiva Lingam )विराजमान हैं। यह मंदिर अरुणाचल प्रदेश ( Arunachal Pradesh ) स्थित जीरो घाटी की करडा पहाड़ी पर स्थित है। इसको सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस विशालकाय शिवलिंग के दर्शन करने से साधक मालामाल हो जाता है। का
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान शिवलिंग ( Shiva Lingam )25 फीट ऊंचा है और इसका व्यास 22 फीट है। इस मंदिर में भगवान शिव भगवान गणेश, मां पार्वती, कार्तिकेय, नंदी के साथ विराजमान हैं। मंदिर भगवान महादेव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ जगहों में से एक है।
शिव का यह धाम अरुणाचल प्रदेश के नहारलगून रेलवे स्टेशन से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह का नाम कारडू जीरो है।साल 2004 में हुए इस शिव आकृति की खोज हुई थी। इसकी ऊंचाई 24 फीट है। जबकि इसकी चौड़ाई 22 फीट है। यह विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है।
बताया जाता है कि सिद्धेश्वरनाथ महादेव का मंदिर काफी प्राचीन है, शिव पुराण में भी इसकी महिमा का वर्णन देखने को मिलता है। पुराण के अनुसार शिव का इस स्थान पर साक्षात वास है।शिव पुराण के 17वें अध्याय के रुद्र खंड के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में एक प्राकृतिक शिवलिंग था, जो कि जमीन के अंदर मौजूद था।

शिवलिंग ( Shiva Lingam )की खासियत है कि ये प्राकृतिक रूप से बना है। साथ ही जहां इनकी स्थापना की गई है वहां हमेशा एक झरना बहता रहता है। लोगों का मानना है कि मां गंगा खुद शिव का अभिषेक करती हैं।
मान्यता है कि शिवलिंग ( Shiva Lingam )की प्राप्ति के समय जंगल में लकड़ी काटने वालों को चमत्कारिक शक्ति के होने का एहसास हुआ था। उनके दर्शन कर घर जाते ही उनकी गरीबी दूर हो गई थी। उनकी तरक्की होने लगी थी।लोगों का मानना है कि इस विशालकाय शिव के दर्शन करने से व्यक्ति की आर्थिक दिक्कतें दूर होती हैं। इससे उन्हें कभी धन की कमी नहीं होती है। इसके अलावा उन्हें मानसिक परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह शिवलिंग ( Shiva Lingam ) हरे-भरे जंगलों में मौजूद है। शिवलिंग की रोजाना सुबह और शाम पूजा-अर्चना की जाती है। यहां कुआं और हवन कुंड भी है। इस शिवलिंग के नीचे झरना बहता है, जो भगवान शिव का जलाभिषेक करती है। इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि यहां आने के बाद श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटते हैं।