Friday, September 20, 2024

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Delhi :न्यायिक परीक्षा पेपर लीक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार को पांच साल की कैद

Former High Court Registrar, two others get 5 years imprisonment in 2017 HCS judicial examination paper leak case

 ( )  की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बृहस्पतिवार को 107 जजों की भर्ती के लिए हुई हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) परीक्षा पेपर लीक मामले में    (   के पूर्व रजिस्ट्रार (Former Registrar ) को पांच साल जेल की सजा सुनाई। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि परीक्षा प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए व पेपर लीक के मुद्दे से निपटने के लिए विशिष्ट कड़े कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन करना होगा।

अदालत हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) प्रारंभिक परीक्षा 2017 के प्रश्नपत्र लीक होने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद सितंबर 2017 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में फरवरी 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने मामले में मुख्य आरोपी सुनीता के साथ तत्कालीन रजिस्ट्रार (भर्ती) (Former Registrar ) बलविंदर कुमार शर्मा को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने शर्मा पर 1.5 लाख रुपये और सुनीता पर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कहा कि पेपर लीक के दूरगामी परिणाम होते हैं, जिससे उम्मीदवारों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इससे छात्रों में अशांति, तनाव और चिंता का माहौल पैदा होता है। साथ ही, अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने की उनकी प्रेरणा प्रभावित होती है।

न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे देश में जहां बेरोजगारी लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। पेपर लीक की समस्या से भर्तियों में देरी होती है, जिससे सरकारी विभागों और प्रशासनिक एजेंसियों की कार्यकुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो पहले से ही कम मानव संसाधनों की समस्या से जूझ रहे हैं। न्यायाधीश ने कहा कि इन दिनों अपराध संगठित रैकेट के माध्यम से किए जा रहे हैं, जिसमें शिक्षा क्षेत्र के खिलाड़ी, प्रश्नपत्र तैयार करने वाले लोग, कोचिंग सेंटर, सलाहकार, किराए की एजेंसियां और प्रिंटिंग प्रेस शामिल हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि परीक्षा प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए पेपर लीक के मुद्दे से विशिष्ट कड़े कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के जरिए निपटना होगा। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 की अधिसूचना इस दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन दीर्घकालिक सुधारों को लागू करके इस तरह के कदाचार के खिलाफ निवारक उपाय किए जाने चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा कि इसका उद्देश्य और लक्ष्य सार्वजनिक परीक्षाओं में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना होना चाहिए। इस बीच, अदालत ने तीसरी दोषी सुशीला को मुकदमे के दौरान पहले से ही बिताई गई अवधि के लिए रिहा कर दिया, जबकि उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

आरोप के मुताबिक पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पंचकूला जिले की पिंजौर निवासी सुमन ने कहा था कि उसने एचसीएस ज्यूडिशियल के लिए आवेदन किया था। परीक्षा की तैयारी के लिए एक कोचिंग सेंटर भी जॉइन किया। इस दौरान उसकी दोस्ती सुशीला नामक लड़की से हो गई। उसने गलती से याची को एक ऐसी ऑडियो क्लिप भेज दी, जिसमें वह अन्य लड़की से डेढ़ करोड़ में नियुक्ति की बात कर रही थी। जोर देकर पूछने पर पेपर लीक होने की बात पता चली। सुशीला ने याचिकाकर्ता को छह सवाल भी बताए जो परीक्षा में आए। सुमन ने अपने पति को इसकी जानकारी दी और उसने मामले की शिकायत पुलिस और हाईकोर्ट को एडमिनिस्ट्रेटिव साइट पर दी। इसके बाद रजिस्ट्रार विजिलेंस ने मामले की प्रारंभिक जांच की थी।

रजिस्ट्रार विजिलेंस ने रिपोर्ट में रजिस्ट्रार (भर्ती) डॉ. बलविंदर शर्मा(Former Registrar ) और आरोपी सुनीता के बीच कनेक्शन का खुलासा किया। रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले एक वर्ष के दौरान दोनों के बीच 730 बार फोन पर व एसएमएस से बात हुई। कमेटी की सिफारिश पर सामान्य वर्ग की टॉपर सुनीता, आरक्षित वर्ग की टॉपर सुशीला व रजिस्ट्रार (भर्ती) डॉ बलविंदर शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels

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