महाराष्ट्र और झारखंड ( Jharkhand )में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। झारखंड में दो चरणों में 13 व 20 नवंबर को जबकि महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को मतदान होंगे। दोनों राज्यों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
झारखंड ( Jharkhand )में दो चरणों में चुनाव कराने का फैसला सुरक्षा कारणों से नक्सल गतिविधियों को देखते हुए लिया गया है। इस दौरान झारखंड में करीब 2.6 करोड़ व महाराष्ट्र में करीब 9.63 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। वैसे भी झारखंड ( Jharkhand )की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी 2025 तक और महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर तक ही है।चुनाव आयोग ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके 14 राज्यों की 48 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान भी किया।
लोकसभा सीटों में केरल की वायनाड में 13 नवंबर और महाराष्ट्र के नांदेड़ में 20 नवंबर को वोटिंग होगी। वहीं, 47 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को और उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा। सभी के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।
आयोग ने इस दौरान चुनाव के दौरान और नतीजों के बाद गढ़े जाने वाले फेक नेरेटिव को लेकर एक बार फिर से गहरी नाखुशी जताई है और कहा कि अभी तो हम ऐसे फेक नेरेटिव को फैक्ट चेक के जरिए झूठ बताने का काम कर रहे है, ताकि लोग गुमराह न हो। हालांकि यदि कोई इसकी सीमा को पार करेगा यानी रेड लाइन को तोड़ेगा, तो वह इससे सख्ती से भी निपटेंगे। इसके लिए वह खुद को तैयार कर रहें है।

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर और पश्चिम बंगाल बशीरहाट विधानसभा सीटों को छोड़कर निर्वाचन आयोग ने देश के 15 राज्यों की रिक्त हुई 48 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव की भी घोषणा की है। इनमें वायनाड लोकसभा की भी सीट शामिल है, जो राहुल गांधी के छोड़ने के बाद रिक्त हुई थी।
यूपी में करहल (मैनपुरी), सीसामऊ (कानपुर), मिल्कीपुर (अयोध्या), कटेहरी (अंबेडकरनगर), कुंदरकी (मुरादाबाद), खैर (अलीगढ़), गाजियाबाद, फूलपुर (प्रयागराज), मझवा (मिर्जापुर) और मीरापुर (मुजफ्फरनगर) पर उपचुनाव होने हैं। सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने से रिक्त हुई है जबकि 9 विधायक, लोकसभा सदस्य बन चुके ।’
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया, ‘लोग पूछते हैं कि किसी देश में पेजर से ब्लॉस्ट कर देते हैं, तो EVM क्यों नहीं हैक हो सकती। पेजर कनेक्टेड होता है भाई, ईवीएम नहीं। 6 महीने पहले EVM की चेकिंग शुरू होती है। पोलिंग पर ले जाना, वोटिंग के बाद वापस लाना। हर एक स्टेज पर पॉलिटिकल पार्टी के एजेंट या कैंडिडेट मौजूद होते हैं। जिस दिन कमीशनिंग होती है, उस दिन बैट्री डाली जाती है।’