उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ( Jagdeep Dhankhar ) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (Aligarh ) स्थित राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय में आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की और स्वर्ण पदक विजेता छात्रों को पुरस्कृत किया। प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ का प्रथम दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ।कुलपति प्रो. चंद्रशेखरने विश्वविद्यालय की स्थापना के संबंध विस्तार से जानकारी दी ।
समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई और वंचितों को श्रेय नहीं मिला। दुर्भाग्य है कि स्वाधीनता की लड़ाई में योगदान देने वाले महान नायकों की प्रेरक कहानियों का हमारी पाठ्य पुस्तकों में अब तक कोई उल्लेख नहीं है। यह दर्दनाक है कि स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई और वंचितों को इसका श्रेय नहीं दिया गया।
धनखड़ ( Jagdeep Dhankhar ) ने कहा कि सभ्यताएं और संस्थाएं अपने नायकों से जीवित रहती हैं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्वतंत्रता संग्राम के एक नायक थे, जिन्हें हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में जगह दी जानी चाहिए थी। उनके जैसे नायकों के बलिदान के कारण ही आज हम एक स्वतंत्र वातावरण में जी रहे हैं।
स्वतंत्रता संग्राम में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि 1915 में सिंह ने काबुल में भारत की पहली अस्थायी सरकार की स्थापना की थी, जो स्वतंत्रता उद्घोष करने का एक बहुत बढ़िया विचार था।
उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर और पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए कहा कि हमें अपने नायकों को पहचानने में इतना समय क्यों लगा। डॉ. अंबेडकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देर से दिया गया। वर्ष 1990 में डॉ अंबेडकर, और 2023 में चौधरी चरण सिंह तथा कर्पूरी ठाकुर को सम्मानित किया गया।
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ( Jagdeep Dhankhar ) ने कहा है कि राष्ट्र से ऊपर कुछ नहीं है। राष्ट्रवाद हमारा धर्म है। निजी हित या कोई भी हित हो राष्ट्रहित से ऊपर नहीं रख सकते। यही हमारा संकल्प होना चाहिए। यही हमारी संस्कृति का निचोड़ है।
शिक्षा का व्यावसायीकरण नहीं होना चाहिए। भारत में गुरुकुल सिस्टम से बहुत फायदा हुआ। वहां फीस नहीं होती थी, कोई रोकटोक नहीं होती थी।हमको भविष्य के रोडमेप को शिक्षा को आगे रखना होगा। उन्होंने इसके लिए हर शिक्षक और प्रोफेसर से अपील भी की।
उप राष्ट्रपति ने कहा, राष्ट्र शिक्षा नीति को आगे बढ़ाना है। वार्षिक आय को बढ़ाना है। तकनीक बढ़ रही है। भारत की भी प्रगति हो रही है। तकनीकी का अमृतकाल है। नए भारत में काम करना है। राष्ट्र से बड़ा कुछ नहीं है। राष्ट्रवाद हमारा धर्म है। राष्ट्र निजी हित से आगे है। यह हमारी नींव है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़( Jagdeep Dhankhar ) ने कहा, हमने यहां एक पेड़ मां के नाम की शुरुआत की थी, लोगों पर रहने के लिए धरती के अलावा कुछ नहीं है । हरियाली को बढ़ाना होगा। सभी लोग पेड़ जरूर लगाएं। युवाओं पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। छात्र बदलते भारत में भूमिका निभाएं। 2047 तक विसकित भारत बनाना है। वित्त और तकनीकी रूप से मजबूत होना है। इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना है।
14 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विश्वविद्यालय की नींव रखी थी। करीब सौ करोड़ की लागत से अब यह विश्वविद्यालय बनकर तैयार हुआ है। इसका क्षेत्रफल कुल सौ एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। हालांकि, अब तक विश्वविद्यालय की कक्षाओं का संचालन जमिया उर्दू संस्थान में किया जा रहा था। अब जल्द ही यह विश्वविद्यालय अपने परिसर में कक्षाएं संचालित कर देगा। 2022में विश्वविद्यालय ने अपना कामकाज शुरू किया था। अब इसे दो वर्ष पूरे हो गए हैं।
समारोह में स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों के 41 विद्यार्थियों को कुल 45 स्वर्ण पदक व उपाधियां देकर सम्मानित किया गया। शारिका, दीक्षा, भानु व शिवानी को अपने पाठ्यक्रम के अलावा स्नातक व परास्नातक स्तर पर सर्वोच्च अंक के लिए दो-दो पदक देकर सम्मानित किया गया। 50 हजार 172 उपाधियां व 31 हजार 507 उपाधियां डिजिलॉकर में सुरक्षित की गई।
Civilizations survive by institutions and honouring their heroes. Nalanda, Takshashila were global beacons of knowledge and education.
This university establishment immortalizes Raja Mahendra Pratap Singh – A hero who deserved greater space in our independence movement history.… pic.twitter.com/ukPDKFuynz
— Vice-President of India (@VPIndia) October 21, 2024