राजस्थान विधानसभा की सात सीटों पर हुए उपचुनाव (Rajasthan by Election) का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। खींवसर, झुंझुनूं, सलूंबर, देवली-उनिया और रामगढ़ का विधानसभा उपचुनाव बीजेपी जीत गई है। वहीं, दौसा में कांग्रेस और चौरासी में बीएपी को जीत हासिल हुई है। उधर, दौसा में कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा जीते हैं। यहां बीजेपी ने रीकाउंटिंग की मांग की है। इस सीट पर मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा भाजपा प्रत्याशी हैं। खींवसर से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. रतन चौधरी की जमानत जब्त हो गई है।
खींवसर में हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को भाजपा के रेवंतराम डांगा ने 13 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। इसी तरह, सलूंबर विधानसभा क्षेत्र के आखिरी राउंड में बाजी पलट गई और भाजपा की शांता मीना ने जीत दर्ज की। शांता ने BAP प्रत्याशी जितेश कुमार कटारा को शिकस्त दी है।
दौसा विधानसभा सीट से कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा हार गए हैं। झुंझुनूं विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र भांबू, देवली-उनियारा में भाजपा के राजेंद्र गुर्जर, रामगढ़ से भाजपा प्रत्याशी सुखवंत सिंह ने जीत दर्ज की है। वहीं चौरासी विधानसभा सीट से भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) प्रत्याशी अनिल कुमार कटारा ने बाजी मारी है।
राजस्थान विधानसभा 7 सीटों पर उपचुनाव (Rajasthan by Election) हुए हैं, उनमें से एक भाजपा, एक बीएपी, एक हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी और 4 कांग्रेस के पास थी। पांच सीटों पर विधायकों के सांसद बनने और दो पर विधायकों के निधन की वजह से उपचुनाव हुए हैं।
अलवर के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव ( by Election)में बीजेपी प्रत्याशी सुखवंत सिंह 14 हजार वोट से जीते हैं। दो राउंड की काउंटिंग से पहले ही कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन जुबेर काउंटिंग हॉल छोड़ कर चले गए। उन्होंने हॉल से निकलते ही बीजेपी के कार्यकर्ता अमनदीप को बधाई तक दे दी।
झुंझुनूं विधानसभा सीट पर भाजपा ने अभी तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है। भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र भांबू ने कांग्रेस के अमित ओला को 42 हजार 848 वोटों के अंतर से हराया है। इससे पहले 2018 में कांग्रेस के बृजेन्द्र ओला ने 40 हजार 565 मतों से जीत दर्ज की थी।
यह सीट 21 साल बाद भाजपा की झोली में गई है। लगातार 4 बार जीतने के बाद कांग्रेस उप चुनाव में हार गई। झुंझुनूं सीट हमेशा से कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। यहां वर्ष 2003 में आखिरी बार भाजपा को जीत मिली थी। उसके बाद से यहां कमल नहीं खिल पाया था।