बांग्लादेश (Bangladesh ) इस्कॉन ( ISKCON ) से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ( Chinmoy Prabhu ) को सोमवार दोपहर गिरफ्तार कर लिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन पर देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का केस है। चिन्मय प्रभु के सहायक आदि प्रभु ने बताया कि उन्हें ढाका के मिंटू रोड स्थित डीबी कार्यालय ले जाया गया।बांग्लादेश पर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन करने पर इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास प्रभु पर कार्रवाई की गई है।
उनकी रिहाई की मांग को लेकर ढाका में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। प्रदर्शनकाारियों ने ढाका के सहबाग में प्रमुख सड़क को जाम कर दिया है।वे ‘हम न्याय के लिए मरेंगे, हम इसके लिए लड़ेंगे’ का नारा लगा रहे हैं।
बांग्लादेश मीडिया के मुताबिक, चिन्मय प्रभु ( Chinmoy Prabhu )ढाका से चटगांव जाने के लिए हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे थे, यहीं से उन्हें डिटेक्टिव पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मौके पर मौजूद इस्कॉन के सदस्यों का कहना है कि डीबी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। उन्होंने बस इतना कहा कि वे बात करना चाहते हैं। इसके बाद वो उन्हें माइक्रोबस में बैठाकर ले गए।
चिन्मय प्रभु ( Chinmoy Prabhu )को चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले हमलों के विरोध में बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। चिन्मय प्रभु बांग्लादेश में सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता के रूप में भी काम कर रहे हैं।

30 अक्तूबर को बांग्लादेश में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में देशद्रोह अधिनियम के तहत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ( Chinmoy Prabhu )समेत 19 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। आरोप है कि पांच अगस्त को हुए जनांदोलन के बाद छात्रों ने न्यू मार्केट चौराहे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। 25 अक्टूबर को लालदिग्गी रैली के दिन सांप्रदायिक धार्मिक समूह इस्कॉन का गेरूआ रंग का धार्मिक झंडा फहराया गया। यह राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर लगा दिया गया।
अक्तूबर से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों की मांग को लेकर सनातन जागरण मंच ने चटगांव में विरोध प्रदर्शन शुरू किए थे। इसमें चिन्मय कृष्ण दास प्रभु ( Chinmoy Prabhu )ने कई बार सरकार पर हमला बोला। उनके नेतृत्व में हिंदू अल्पसंख्यकों ने आठ प्रमुख मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है। इसमें अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अपराध शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए न्यायाधिकरण का गठ, पीड़ितों को मुआवजा और उनका पुर्नवास, अल्पसंख्यक संरक्षण कानून को लागू करने, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का गठन, शैक्षिक संस्थानों और छात्रावास में अल्पसंख्यकों के प्रार्थना स्थल और पूजा कक्ष बनाने, हिंदू, बौद्ध और ईसाई वेलफेयर ट्रस्टों को प्राथमिकता देने, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम लागू करने, पाली और संस्कृत शिक्षा बोर्ड के आधुनिकीकरण और दुर्गा पूजा में पांच दिन की छुट्टी की मांग शामिल है।