महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (Maharashtra Assembly Speaker )पद के लिए भाजपा विधायक राहुल नार्वेकर ने रविवार को अपना नामांकन दाखिल किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार की मौजूदगी में उन्होंने अपना नामांकन भरा। इस मौके पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, चंद्रकांत पाटिल और अन्य नेता भी मौजूद थे।
हालांकि, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की तरफ से इस पद के लिए अभी तक किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई । स्पीकर पद के लिए चुनाव कल नौ दिसंबर को दोपहर को होगा। कोलाबा सीट से विधायक नार्वेकर का निर्विरोध चुना जाना तय है क्योंकि किसी और उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया है।
महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के सदस्यों ने रविवार को नवगठित विधानसभा में विधायक के तौर पर शपथ ली। उन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन (शनिवार को) शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया था। कांग्रेस नेता नाना पटोले, विजय वडेट्टीवार और अमित देशमुख, राकांपा-एसपी के अमित देशमुख और शिवसेना (यूबीटी) के आदित्य ठाकरे समेत कुछ विधायकों ने आज सदन की कार्यवाही के शुरू होने के तुरंत बाद शपथ ली।
एमवीए नेताओं ने फडणवीस से मुलाकात की और उनसे उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने के प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह किया। विपक्षी गठबंधन ने नेता प्रतिपक्ष का पद भी मांगा।सदन में सोमवार को अध्यक्ष (Maharashtra Assembly Speaker )के चुनाव की औपचारिक घोषणा की जाएगी। इसके बाद नई सरकार शक्ति प्रदर्शन कर विश्वास मत हासिल करेगी।इसके बाद राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे।

बता दें कि राहुल नार्वेकर महाराष्ट्र की कोलाबा सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने शनिवार को विधानसभा में पद की शपथ ली। महायुति की ढाई साल की सरकार में भी वह विधानसभा स्पीकर (Maharashtra Assembly Speaker ) चुने गए थे। राहुल नार्वेकर कोलाबा में बड़े मार्जिन से जीते हैं। उन्हें कांग्रेस के हीरा नावजी देवासी के 32,504 वोटों की तुलना में 81,085 वोट मिले, जबकि 2019 में उन्होंने कांग्रेस के बड़े नेता भाई जगताप को हराया था। नार्वेकर को 57,420 और भाई जगताप को 41,225 वोट मिले थे। राहुल नार्वेकर ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत शिवसेना से की थी। इसके बाद वह 2014 में शिवसेना छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए थे। जून 2016 में वह विधानसभा पार्षद निर्वाचित हुए थे। उन्हें गवर्नर ने मनोनीत किया था।इसके बाद 2019 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। वहीं, 2022 में महायुति की सरकार आने के बाद भाजपा ने उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष भी बनाया था।