मशहूर गुजराती गायक और संगीतकार पुरूषोत्तम उपाध्याय( Purshottam Upadhyay )का आज 11 दिसंबर को 90 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई ( Mumbai) में अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गायक के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने पोस्ट में कहा कि वह महान गायक पुरूषोत्तम उपाध्याय के निधन के बारे में जानकर स्तब्ध हैं, जिन्होंने सरल संगीत के माध्यम से दुनिया भर में गुजराती भाषा को जीवित रखा।
गुजराती में पीएम मोदी की पोस्ट में कहा गया, ‘यह कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। स्वर्णकन की मधुर आवाज में संगीत रचनाएं हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना और शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना। ओम शांति।’ उपाध्याय गुजरात सरकार से गुजरात गौरव पुरस्कार और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित थे।
पुरूषोत्तम उपाध्याय( Purshottam Upadhyay ) ने अपनी कालजयी रचनाओं और आवाज के माध्यम से ‘हे रंगलो जम्यो’, ‘दिवसो जुदैना जय चे’, ‘ए जाशे जरूर मिलन सुधि’ और ‘काहू चू जवानीन’ जैसे कई गीतों को अमर बना दिया। उन्होंने 20 से अधिक फिल्मों और 30 से अधिक नाटकों के लिए संगीत तैयार किया। गुजराती गीतों के लिए उनकी रचनाएं भारत की सीमाओं को पार कर दुनिया के हर कोने में रहने वाले गुजरातियों के दिलों में गूंज रही हैं। उपाध्याय ने लता मंगेशकर, आशा भोसले और मोहम्मद रफी जैसे दिग्गजों के साथ गाना गाया था।
15 अगस्त, 1934 को गुजरात के खेड़ा में जन्मे, उपाध्याय ( Purshottam Upadhyay )का संगीत के प्रति जुनून कम उम्र से ही स्पष्ट हो गया था, जिससे उन्हें अपने स्कूल के वर्षों के दौरान कई प्रशंसाएं मिलीं। संगीत के प्रति उनका प्रेम उन्हें करियर बनाने के लिए मुंबई ले गया, लेकिन उनके शुरुआती प्रयासों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। बिना किसी डर के, उन्होंने थिएटर कंपनियों में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, जिससे उनकी शानदार यात्रा की शुरुआत हुई। एक परिवर्तनकारी क्षण तब आया जब उन्होंने अभिनेता अशरफ खान की उपस्थिति में मूल रूप से नूरजहां द्वारा गाया गया एक गीत प्रस्तुत किया। इस सफलता से प्रसिद्ध कलाकारों के साथ सहयोग और ऑल इंडिया रेडियो, मुंबई के साथ एक अनुबंध हुआ। उपाध्याय ( Purshottam Upadhyay )ने भारतीय विद्या भवन में संगीत कार्यक्रमों के प्रबंधन की भूमिका भी निभाई और संगीत जगत में अपनी स्थिति मजबूत की।

ગુજરાતી ભાષાને સુગમ સંગીત થકી વિશ્વભરમાં જીવંત રાખનારા સુપ્રસિદ્ધ સ્વરકાર પુરૂષોત્તમ ઉપાધ્યાયના નિધનના સમાચારથી ઊંડો આઘાત અનુભવું છું. કલા જગત માટે આ એક ન પુરી શકાય તેવી ખોટ છે. તેમના મધુર અવાજમાં સ્વરાંકન સંગીત રચનાઓ હંમેશાં આપણા હૃદયમાં જીવંત રહેશે.
સદ્ગતના આત્માની શાંતિ માટે…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2024