सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने सोमवार को मस्जिद में ‘जय श्रीराम'( ‘Jai Shri Ram’) का नारा लगाने वाले मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने पूछा, ‘जय श्रीराम का नारा लगाना अपराध कैसे हो सकता है।’सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें मस्जिद के अंदर कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने का आदेश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में कथित रूप से जय श्रीराम ( ‘Jai Shri Ram’) का नारा लगाने वाले 2 लोगों के खिलाफ FIR रद्द करने के 13 सितंबर के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।शिकायतकर्ता हैदर अली सी एम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संजीव मेहता की बेंच ने पूछा कि दोनों लोग एक धार्मिक नारा लगा रहे थे या कहें कि एक व्यक्ति का नाम ले रहे थे। ये अपराध कैसे हो सकता है।
जब पीठ ने पूछा, ‘क्या आप मस्जिद में प्रवेश करने वाले वास्तविक व्यक्तियों की पहचान कर पाए हैं?’ कामत ने कहा कि राज्य पुलिस को इसका स्पष्टीकरण देना होगा। पीठ ने याचिकाकर्ता से राज्य को याचिका की एक प्रति देने को कहा और मामले को जनवरी 2025 में सूचीबद्ध किया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘यह समझ से परे है कि अगर कोई जय श्रीराम चिल्लाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी।’
यह मामला दक्षिण कर्नाटक जिले के कडाबा पुलिस स्टेशन का है। याचिकाकर्ता हैदर अली ने 25 सितंबर, 2023 को पुलिस में कीर्थन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी कि दोनों ने ऐथुर गांव की बदुरिया जुम्मा मस्जिद में घुसकर जय श्रीराम( ‘Jai Shri Ram’) के नारे लगाए थे।

पुलिस ने दोनों लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 447 (ट्रेसपास) और 505 व 506 (आपराधिक धमकी) समेत कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
पुत्तूर के लोकल कोर्ट ने इन धाराओं के खिलाफ जांच जारी रखने की अनुमति दे दी। आरोपियों ने राहत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को इसे अपराध न मानते हुए दोनों लोगों के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दर्ज केस को खत्म कर दिया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कहा था, ‘जिन अपराधों की शिकायत की गई है उनका कोई सबूत नहीं है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही किए जाने की इजाजत देने से कानून और न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।’
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह समझा जा सकता है कि अगर कोई जय श्रीराम ( ‘Jai Shri Ram’) का नारा लगाता है तो किसी क्लास की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं। शिकायत में यह बताया गया है कि शिकायतकर्ता ने खुद नहीं देखा था कि वह कौन है जिसने कथित रूप से धमकी देने का अपराध किया है, जिस पर IPC की धारा 506 के प्रावधान लागू होते हैं।