प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी दी गई है।नये आयकर विधेयक (Income Tax Bill )को मंजूरी दे दी, जो छह दशक पुराने आईटी अधिनियम की जगह लेगा। नया विधेयक प्रत्यक्ष कर कानून को समझने में आसान बनाने और कोई नया कर बोझ नहीं लगाने की एक कवायद है। इसमें प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने नये आयकर विधेयक को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि नया आयकर विधेयक अब अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाएगा और इसे संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। संसद के मौजूदा बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को खत्म हो रहा है। सत्र 10 मार्च को फिर शुरू होगा और चार अप्रैल तक चलेगा।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी दी। इसमें कौशल भारत कार्यक्रम के लिए 8,800 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल को तीन साल के लिए बढ़ाया गया है। वहीं दक्षिण तटीय रेलवे जोन के विकास के लिए बड़ा फैसला लिया गया। वहीं सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने नए आयकर बिल (Income Tax Bill )को भी मंजूरी दी है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई फैसले लिए गए। मंत्रिमंडल ने 2022-23 से 2025-26 की अवधि के लिए 8,800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2026 तक कौशल भारत कार्यक्रम (एसआईपी) को जारी रखने और पुनर्गठन को मंजूरी दी।
इससे देशभर में भविष्य के लिए कुशल, मांग पर आधारित, तकनीकी रूप से सक्षम और औद्योगिक रूप से प्रशिक्षित युवाओं को तैयार किया जा सकेगा। इस योजना के तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (पीएमकेवीवाई 4.0), प्रधान मंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस) और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना को जोड़ दिया गया। अब यह तीनों योजनाएं कौशल भारत कार्यक्रम का हिस्सा होंगी।

नए आयकर बिल(Income Tax Bill ) की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में घोषणा की थी। उन्होंने इस बिल को संसद के मौजूदा सत्र में पेश करने की बात कही थी। सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अगले हफ्ते इसे संसद में पेश किया जाएगा। संसद की मंजूरी के बाद यह छह दशक पुराने आयकर कानून की जगह लेगा। नए विधेयक का उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को समझने को आसान बनाना और कोई नया कर बोझ नहीं डालना है।
इसकी खास बात यह होगी कि प्रावधान और स्पष्टीकरण या लंबे वाक्य नहीं होंगे।छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेने वाला नया आयकर विधेयक (Income Tax Bill )प्रत्यक्ष कर कानूनों को पढ़ने-समझने में आसान बनाएगा, अस्पष्टता दूर करेगा और मुकदमेबाजी को कम करेगा। नया अधिनियम उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं। साथ ही भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे टैक्स एक्सपर्ट्स की सहायता के बिना समझ सकें।
सूत्रों ने कहा कि अगले हफ्ते संसद में पेश किए जाने के बाद बिल को संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 के बजट में ही आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। सीबीडीटी ने समीक्षा की देखरेख करने और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था, जिससे विवाद, मुकदमेबाजी कम होगी और करदाताओं को अधिक कर निश्चितता मिलेगी। आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 विशेष उप-समितियां बनाई गई हैं। चार श्रेणियों में जनता के इनपुट और सुझाव आमंत्रित किए गए थे। ये श्रेणियां हैं भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी और अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधान। आयकर विभाग को आयकर अधिनियम की समीक्षा पर हितधारकों से 6,500 सुझाव मिले हैं।