आंध्र प्रदेश (Andhra-Pradesh ) के तिरुपति( Tirupati ) बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार लोगों की पहचान भोले बाबा डेयरी के पूर्व निदेशकों विपिन जैन और पोमिल जैन, वैष्णवी डेयरी के अपूर्व चावड़ा और एआर डेयरी के राजू राजशेखरन के रूप में हुई है।
एक अधिकारी ने कहा कि चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दो व्यक्ति (बिपिन जैन और पोमी जैन) भोले बाबा डेयरी से हैं, अपूर्व चावड़ा ‘वैष्णवी डेयरी’ और (राजू) राजशेखरन ‘एआर डेयरी’ से जुड़े हैं।
सीबीआई को जांच में पता चला कि वैष्णवी डेयरी के प्रतिनिधियों ने एआर डेयरी के नाम पर टेंडर हासिल किए थे। वैष्णवी डेयरी ने टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने के लिए एआर डेयरी के नाम का इस्तेमाल करते हुए फर्जी डॉक्यूमेंट और मुहरें बनाई थीं।
वैष्णवी डेयरी द्वारा बनाए गए नकली रिकॉर्ड में दावा किया गया कि उसने रुड़की में भोले बाबा डेयरी से घी खरीदा है, लेकिन उसके पास जरूरी मात्रा में आपूर्ति करने की क्षमता नहीं थी।
तिरुपति ( Tirupati ) बालाजी मंदिर में मिलावटी घी वाले लड्डू को लेकर उपजे विवाद के बाद सरकार पूरे मामले की सीबीआई जांच करा रही है। इस मामले की जांच के लिए सीबीआई अधिकारियों के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि ‘लड्डू प्रसादम् में मिलावटी घी के इस्तेमाल’ मामले में कार्रवाई की गई है। जांच अधिकारी इस प्रकरण के तमाम पहलुओं पर गहन जांच कर रहे हैं।
बता दें कि आंध्र प्रदेश में तिरुमला पहाड़ी पर स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू ( Tirupati laddu) में कथित मिलावट का मामला पिछले साल सामने आया था। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रभावित पक्ष इस प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट तक ले गया। लोकआस्था से जुड़े इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने बीते साल अक्तूबर में कहा था कि करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़े इस मामले में राजनीतिक ड्रामा नहीं होना चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ एसआईटी जांच के निर्देश दिए थे।
चार लोगों की गिरफ्तारी के मामले में रविवार को सीबीआई की एसआईटी से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार लोगों की पहचान विपिन जैन, पोमिल जैन, अपूर्व चावड़ा और राजू राजशेखरन के रूप में की गई है।
लड्डू ( Tirupati laddu)बनाने में पशु वसा के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए पिछले साल नवंबर में पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। इस टीम में केंद्रीय एजेंसी के दो अधिकारी, आंध्र प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के एक अधिकारी शामिल हैं।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अक्तूबर, में पारित आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे। स्वामी इससे पहले भी धार्मिक आस्था से जुड़े कई मुद्दों पर कानूनी लड़ाई लड़ चुके हैं, जिसमें अयोध्या का राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद सबसे चर्चित मुकदमा है।
इस हाईप्रोफाइल मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने से पहले गत वर्ष सितंबर में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पूर्ववर्ती सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के कार्यकाल में तिरुपति लड्डू तैयार करने में पशु वसा का इस्तेमाल किया गया था। इस बयान से बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद भी पैदा हो गया था।
विवाद के बाद तिरुपति के लड्डू ( Tirupati laddu)को लेकर कई सवाल भी खड़े हुए। हालांकि, मंदिर प्रबंधन- तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने गत वर्ष 21 सितंबर को दावा किया कि श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रसाद अब पूरी तरह से शुद्ध व पवित्र है। हम इसे आगे भी बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। घी में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल की मिलावट जैसे आरोपों के बाद टीटीडी ने कहा था, श्रीवारी लड्डू की दिव्यता व पवित्रता अब बेदाग है।
जांच के शुरुआती दौर में केंद्र और आंध्र के खाद्य सुरक्षा विभाग ने तमिलनाडु के डिंडीगुल में एआर डेयरी फूड्स की फैक्टरी में बनने वाले घी के नमूनों की जांच भी की है। आरोप है कि मिलावटी घी की आपूर्ति यहीं से हुई थी। इस मामले में केंद्र सरकार भी बेहद गंभीर है। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि, प्रसादम में मिलावट बेहद गंभीर है। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए। जिसने भी गलती की है, उसे सजा मिलनी चाहिए। सरकार मामले को तार्किक अंत तक ले जाएगी। आस्था के साथ विश्वासघात ठीक नहीं है।