Saturday, April 19, 2025

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Uttar Pradesh :मैनपुरी में ‘दिहुली सामूहिक दलित नरसंहार’ में 44 साल बाद तीन को फांसी की सजा, वर्ष 1981 में हुई थी 24 दलितों की हत्या

उत्तरप्रदेश की   (  ) की जिला अदालत ने 44 साल बाद दिहुली सामूहिक दलित नरसंहार( ‘Dihuli mass Dalit massacre’ ) मामले में मंगलवार को फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। बता दें, इस हिंसा में दलित समुदाय के 24 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

एडीजे विशेष डकैती कोर्ट  ने जिन आरोपियों रामसेवक, कप्तान सिंह, रामपाल को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस हत्याकांड में कुल 17 आरोपी शामिल थे। इनमें से 13 लोगों की पहले ही मौत हो चुकी हैं। मैनपुरी के दिहुली गांव में 1981 में जातीय हिंसा में 24 दलितों की हत्या हुई थी। इस मामले में शेष तीन आरोपियों को दोषी करार दिया गया है।

कोर्ट ने 18 मार्च 2025 को सजा की तारीख तय की थी। इसेक बाद मंगलवार यानी आज कोर्ट ने तीन आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। इस दिहुली सामूहिक दलित नरसंहार( ‘Dihuli mass Dalit massacre’ ) मामले के बाद देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घटनास्थल का दौरा किया था। मालूम हो कि, 18 नवंबर 1981 को फिरोजाबाद के जसराना स्थित ग्राम दिहुली में जाति आधारित हिंसा भड़की गई थी। इस दौरान 24 दलित समुदाय के लोगों को नृशंस हत्या कर दी गई थी। इस मामले में लायक सिंह ने थाना जसराना में राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष चौहान उर्फ संतोषा, राम सेवक, रविंद्र सिंह, रामपाल सिंह, वेदराम, मिठ्ठू, भूपराम, मानिक चंद्र, लटूरी, राम सिंह, चुन्नीलाल, होरी लाल, सोनपाल, लायक सिंह, जगदीश, रेवती देवी, फूल देवी, कप्तान सिंह, कम रुद्दीन, श्याम वीर, कुंवर पाल, लक्ष्मी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

दिहुली सामूहिक दलित नरसंहार( ‘Dihuli mass Dalit massacre’ ) में फांसी की सजा पाने वाले रामपाल, रामसेवक और कप्तान सिंह अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए फांसी की सजा के खिलाफ 30 दिन के भीतर हाईकोर्ट में अपील भी कर सकते हैं। हाईकोर्ट सेशन कोर्ट के फैसले की समीक्षा के बाद अपना निर्णय लेकर फांसी की सजा को बरकरार रख सकती है या फिर सजा में संशोधन भी किया जा सकता है।

फिरोजाबाद जनपद के जसराना थाना क्षेत्र के ग्राम दिहुली (घटना के समय मैनपुरी का हिस्सा) में 24 दलितों की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। वर्ष 1981 में 18 नवंबर की शाम 6 बजे  की यह घटना थी। डकैत संतोष और राधे के गिरोह ने एक मुकदमे में गवाही के विरोध में हथियारों से लैस होकर दिहुली गांव में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर गोलियां चलाई गई थी। इसमें 24 लोगों की मौत हुई थी। बदमाशों ने हत्या करने के बाद लूटपाट भी की थी। रिपोर्ट दिहुली के लायक सिंह ने 19 नवंबर 1981 को थाना जसराना में दर्ज कराई थी। थाना जसराना में राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष सिंह उर्फ संतोषा के अलावा 20 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी। मैनपुरी से लेकर इलाहाबाद तक यह मामला कोर्ट में चला। इसके बाद 19 अक्तूबर 2024 को बहस के लिए मुकदमा फिर से मैनपुरी सेशन कोर्ट में ट्रांसफर किया गया। जिला जज के आदेश पर विशेष डकैती कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई।

इस दिहुली सामूहिक दलित नरसंहार()  को अंजाम देने के आरोप में गिरोह सरगना संतोष उर्फ संतोषा और राधे सहित गैंग के सदस्य कमरुद्दीन, श्यामवीर, कुंवरपाल, राजे उर्फ राजेंद्र, भूरा,  प्रमोद राना, मलखान सिंह, रविंद्र सिंह, युधिष्ठिर पुत्र दुर्गपाल सिंह, युधिष्ठिर पुत्र मंशी सिंह, पंचम पुत्र मंशी सिंह, लक्ष्मी, इंदल और रुखन, ज्ञानचंद्र उर्फ गिन्ना, कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल पर मुकदमा दर्ज हुआ था। लक्ष्मी, इंदल और रुखन, ज्ञानचंद्र उर्फ गिन्ना, कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को छोड़कर सभी की मौत हो चुकी है इनकी मौत के संबंध में कोर्ट में फौती रिपोर्ट भी दाखिल हो चुकी है।

 

 

Raju Upadhyay

Raju Upadhyay is a veteran journalist with experience of more than 35 years in various national and regional newspapers, including Sputnik, Veer Arjun, The Pioneer, Rashtriya Swaroop. He also served as the Managing Editor at Soochna Sahitya Weekly Newspaper.