भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI ) में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एनएचएआई के पटना क्षेत्रीय कार्यालय के महाप्रबंधक ( NHAI GM) रामप्रीत पासवान को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। इस मामले में एक निजी कंपनी के महाप्रबंधक समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई की इस कार्रवाई से न केवल एनएचएआई में व्याप्त भ्रष्टाचार उजागर हुआ है, बल्कि कई बड़े अधिकारियों की मिलीभगत पर भी सवाल उठे हैं।
सीबीआई ने एक बयान में बताया कि एनएचएआई महाप्रबंधक ( NHAI GM) रामप्रीत पासवान पर आरोप है कि उन्होंने ठेके से जुड़े कार्यों और बिलों को पास कराने के एवज में 15 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इसी शिकायत के आधार पर सीबीआई ने कार्रवाई कर एक सुनियोजित योजना के तहत रिश्वत के लेन-देन के समय उन्हें रंगे हाथों पकड़ा।
इस मामले में गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, रांची और वाराणसी में आरोपियों के आवासीय और आधिकारिक ठिकानों पर छापामारी की। इन छापों में एक करोड़ 18 लाख 85 हजार रुपये नकदी, कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद किए गए हैं। इससे यह साफ होता है कि घूसखोरी का नेटवर्क कहीं ज्यादा गहराई तक फैला हुआ है।
सीबीआई ने इस मामले में कुल 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनमें एनएचएआई के मुख्य महाप्रबंधक, महाप्रबंधक समेत छह सरकारी अधिकारी, एक निजी कंपनी, उस कंपनी के चार वरिष्ठ प्रतिनिधि (जिसमें दो जीएम भी शामिल हैं), एक अन्य निजी ठेकेदार और कुछ अज्ञात सरकारी और निजी व्यक्ति शामिल हैं।

सीबीआई ने बताया कि जिस स्थान पर एनएचएआई के महाप्रबंधक ( ( NHAI GM) और निजी कंपनी के कर्मचारी के बीच घूस का लेन-देन हो रहा था, वहीं छापामारी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस सुनियोजित कार्रवाई ने मामले की गंभीरता और व्यापकता को और अधिक स्पष्ट कर दिया है।
सीबीआई अब बरामद दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों की जांच कर रही है ताकि घूस के लेन-देन में शामिल अन्य अधिकारियों और कंपनियों की भूमिका को उजागर किया जा सके। इस घोटाले की परतें खुलने के साथ इसमें और भी नाम सामने आने की संभावना जताई जा रही है।
इन पर की गई प्राथमिकी
- वाई. बी. सिंह, मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) एवं क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, क्षेत्रीय कार्यालय, पटना।
- रामप्रीत पासवान, महाप्रबंधक (जीएम), एनएचएआई क्षेत्रीय कार्यालय, पटना (रिश्वत प्राप्त कर्ता) (गिरफ्तार)।
- श्री कुमार सौरभ, उप महाप्रबंधक (डीजीएम), एनएचएआई, परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू), पूर्णिया
- ललित कुमार, परियोजना निदेशक (पीडी), एनएचएआई, परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू), दरभंगा, मुजफ्फरपुर।
- अंशुल ठाकुर, साइट इंजीनियर, एनएचएआई, परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू), दरभंगा, मुजफ्फरपुर।
- हेमेन मेधी, एजीएम, लेखा, एनएचएआई, क्षेत्रीय कार्यालय, पटना।
- वरुण कुमार, कर्मचारी, मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (गिरफ्तार)।
- सुरेश महापात्रा, महाप्रबंधक (जीएम), मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (रिश्वत देने वाला) (गिरफ्तार)।
- अमर नाथ झा, महाप्रबंधक (जीएम), मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड।
- चेतन कुमार, कर्मचारी, मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, (गिरफ्तार)।
- सत्य नारायण सिंह उर्फ पप्पू सिंह, ठेकेदार, मुजफ्फरपुर।
- मेसर्स राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और
- अज्ञात अन्य लोक सेवक और निजी व्यक्ति
गौरतलब है कि इससे पहले 24 सितंबर 2022 को सीबीआई ने पटना में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के एक मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) और एक उप महाप्रबंधक (डीजीएम) को दो निजी कंपनी के कर्मचारियों के साथ रिश्वतखोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया था। उस कार्रवाई में लगभग 76 लाख रुपये नकदी और गहने बरामद किए गए थे।