कैश मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा ( Justice Yashwant Varma) को दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court) से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आदेश जारी किया गया है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया गया है कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए। इस संबंध में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद (एचसीबीए) के आग्रह को दरकिनार कर दिया गया है।
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा ( Justice Yashwant Varma) पर एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा मामले में सुप्रीम कोर्ट की इंटरनल कमेटी जांच कर रही है। रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ मिला तो FIR होगी या मामला संसद को भेजा जाएगा।
जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में 14 मार्च को आग लग गई थी। आग बुझाने पहुंची फायर सर्विस टीम को उनके स्टोर रूम में बोरियों में भरे 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे। तब से ही यह पूरा मामला सुर्खियों में बना हुआ है।
जस्टिस वर्मा ( Justice Yashwant Varma) के खिलाफ एफआईआर की मांग को लेकर एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा और तीन अन्य ने याचिका दायर की थी। याचिका में 34 साल पुराने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को भी चुनौती दी गई थी।
1991 में के वीरस्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सीजेआई की परमिशन के बिना हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस शुरू नहीं किया जा सकता।
उधर जस्टिस यशवंत वर्मा ( Justice Yashwant Varma) को दिल्ली हाईकोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव पैनल से हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 26 मार्च को हाईकोर्ट में प्रशासनिक कामों से जुड़ी कमेटियों का पुर्नगठन किया गया था। इसमें जस्टिस वर्मा को शामिल नहीं किया गया।
जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को केंद्र की मंजूरी,न्यायिक काम न सौंपने के निर्देश; सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर की याचिका खारिज की